Varanasi: अराजी लाइन में धान की सीधी बुआई का निरीक्षण, वैज्ञानिकों ने किसानों को दी सलाह

वाराणसी/उत्तर प्रदेश। धान की खेती को अधिक किफायती, पर्यावरणीय और श्रम-स्वतंत्र बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) के वैज्ञानिकों ने अराजी लाइन विकासखंड के पनियरा गांव में रुद्र काशी एफपीओ के डायरेक्टर ओम प्रकाश दुबे और उनके एफपीओ से जुड़े कृषकों द्वारा की गई धान की सीधी बुआई (Direct Seeded Rice - DSR) का सोमवार को निरीक्षण किया।

निरीक्षण दल में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मलिक, वर्ल्ड बैंक के UP Agri Resilience Project के हेड विनायक और को-हेड शांतनु शामिल रहे। उन्होंने किसानों को DSR तकनीक के लाभों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

क्या है DSR विधि और इसके फायदे:

वैज्ञानिकों ने बताया कि DSR विधि में पारंपरिक रोपाई के मुकाबले 30-35% तक पानी की बचत होती है, क्योंकि इसमें खेत में लगातार पानी भरकर रखने की आवश्यकता नहीं होती। साथ ही नर्सरी तैयार करने, पौध रोपने और पुनः रोपण जैसी प्रक्रिया से भी मुक्ति मिलती है, जिससे मजदूरों पर निर्भरता कम होती है और श्रम की लागत घटती है।

इस विधि से बोई गई फसल 7-10 दिन पहले तैयार हो जाती है, जिससे अगली फसल जैसे गेहूं की बुवाई समय पर की जा सकती है। DSR विधि मशीनों से की जाती है, जिससे समय और लागत दोनों की बचत होती है।

पर्यावरण के लिए भी लाभकारी:

DSR विधि पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी काफी लाभदायक है। खेतों में जलभराव न होने के कारण मीथेन गैस का उत्सर्जन कम होता है, जो जलवायु परिवर्तन की गति को धीमा करने में सहायक है। साथ ही, मिट्टी की संरचना और उसमें मौजूद लाभकारी जीवाणु भी संरक्षित रहते हैं।

कुल मिलाकर, वैज्ञानिकों ने किसानों से अपील की कि वे इस आधुनिक, पर्यावरण-अनुकूल और लागत-कटौती वाली विधि को अपनाएं ताकि कम संसाधनों में अधिक उपज प्राप्त की जा सके।
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