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वाराणसी : स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा का दर्शन संग खजाना पाकर भक्त हुए निहाल


- भगवती अन्नपूर्णा के दरबार में स्वयं महादेव याचक की मुद्रा में हैं विराजमान
- धनतेरस से अन्नकूट तक 5 दिन होंगे स्वर्णमयी अन्नपूर्णा के दर्शन
वाराणसी/उत्तर प्रदेश (Varanasi/Uttar Pradesh), देसी खबर (Desi Khabar), 10 नवंबर 2023, शुक्रवार : तीन लोक से नारी काशी में धनतेरस पर मां भगवती अन्नपूर्णा का दरबार खुलते ही भक्तगण दर्शन कर जैसे ही माता का खजाना प्रप्त किये तो मानो निहाल हो उठे। स्वर्णमयी प्रतिमा का दर्शन कर लोग सहज ही जयकारा लगाने लगे और माता की भक्ति में लीन हो गए। मंदिर मार्ग पर देर रात से ही भक्तों का ताता लगा रहा। पूरी रात भक्त जन लाइन में लगकर मां अन्नपूर्णा के दर्शन का इंतजार करते रहे।रात्रि में मंदिर प्रबंधन की ओर से उन्हें अल्पाहार आदि भी दिए गए ताकि कोई भूखा ना रहे। यहां माता की जयकारों से पूरा मंदिर परिसर गूंजायमान रहा।

मां अन्नपूर्णा के दर्शन की यह है मान्यता
आस्था और भक्ति की नगरी काशी में धनतेरस पर्व पर स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा के दर्शन पूजन का खास महत्व है। मां स्वर्णमयी अन्नपूर्णा का दरबार श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के निकट स्थित है। अपने भक्तों पर अन्न धन का खजाना लुटाने वाली माता के दरबार में मान्यता है कि जगत के पालन हार काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ स्वयं याचक बन कर भिक्षा लिए और सभी प्राणी पोषण के लिए मां की कृपा पर आश्रित हैं।

भगवती के दरबार से होता है खजाना वितरण
252 वर्षो से चली आ रही परंपरा के आठवी पीढ़ी के महंत शंकर पूरी बताते हैं की इस दिन काशी के भक्तो समेत देश-विदेश के श्रद्धालुओ का हुजूम रहता है। इस धनतेरस पर लगभग 05लाख सिक्के (खजाना) और 11कुंतल लावा भक्तो में वितरण करने हेतु मंगवाया गया है। इस दिन पूजित खजाना सिक्का के रूप में आने वाले प्रत्येक श्रद्धालुओ को हाथ में दिया जाता है। उन्होंने कहा की इसको घर के भंडार में रखने मात्र से धन धान्य की कमी नही होती और यही भक्तो का विश्वास लाखो श्रद्धालु दर्शनार्थी भगवती के दरबार आते हैं।

पौराणिक ग्रंथों से ये भी स्पष्ट होता है है कि काशी में अन्नपूर्णा का वास भगवान विश्वनाथ के विराजमान से पहले ही हो चुका था। .....बताते है कि देवी अन्नपूर्णा का दर्शन तो भक्तो को नियमित मिलता हैं। लेकिन खास स्वर्णमयी प्रतिमा का दर्शन प्रति वर्ष में सिर्फ चार दिन धनतेरस से अन्नकूट तक ही मिलता है।

देश का एकलौता मंदिर जहां विराजती हैं तीन देवियां
स्वर्ण अन्नपूर्णा कमलासन पर विराजमान हैं रजत प्रतिमा में विराजमान काशीपुराधिपति की झोली में स्वयं भगवती अन्नदान दे रहीं हैं वहीं भगवती अन्नपूर्णा के दायीं ओर देवी लक्ष्मी और बायीं तरफ देवी भूदेवी विराजमान हैं। मंदिर के प्रबधक काशी मिश्रा ने बताया स्वर्णमयी प्रतिमा की प्राचीनता का उल्लेख पुराण व अन्य शास्त्रों में मिलता है। वर्ष में धनतेरस से अन्नकूट तक चार दिन आने वाले सभी भक्तो को धान का लावा बताशा प्रसाद के रूप में दिया जाता है और पैसे के रूप में सिक्का खजाना सिर्फ धनतेरस के दिन वितरण की परम्परा है। इसे घर के अन्न भंडार में रखने से विश्वास है कि वर्ष पर्यन्त धन धान्य की कमी नहीं होती।

इसी विश्वास से लाखों श्रद्धालु दरबार में आते हैं। काशीवासियों समेत पूरे देश के पालन पोषण का पूरा दायित्व इन्हीं मां भगवती पर है। धार्मिक पुस्तक काशी-रहस्य के अनुसार भवानी ही अन्नपूर्णा हैं। मान्यता है कि जब से माता अन्नपूर्णा काशी में विराजमान हुईं तब से यह मंदिर काशी के प्रधान देवीपीठ में एक माना जाता है। बाबा विश्वनाथ का दर्शन कर माता अन्नपूर्णा के दर्शन का विधान है, पूरे वर्ष यहां भक्तों का ताँता लगा रहता है।