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'लव कुश रथ यात्रा' के बहाने भाजपा की लव-कुश समीकरण पर नजर


पटना/बिहार, 4 जनवरी : बिहार में भाजपा की 2 जनवरी से लव-कुश रथ यात्रा निकली है। यह रथ यात्रा प्रदेश के सभी जिलों से होते हुए बक्सर के रास्ते उत्तर प्रदेश में प्रवेश करेगी। यात्रा का समापन 22 जनवरी को अयोध्या में होगा।

कहा जा रहा है कि ‘सबके सिया, सबके राम’ स्लोगन के साथ निकलने वाली इस रथयात्रा के जरिए भाजपा ने हिंदुत्व के रंग में ढालकर सामाजिक न्याय के जरिए लव कुश समीकरण को साधने की कोशिश की है।

दरअसल, नीतीश कुमार ने जिस लव-कुश फॉर्मूले से लालू प्रसाद यादव की अगुवाई वाली राजद से सत्ता छीनी थी, अब भाजपा ने उसी लव-कुश समीकरण के जरिए जदयू की राजनीतिक जमीन कब्जाने की योजना बनाई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लव-कुश यानी कुशवाहा-कुर्मी समीकरण के सहारे खुद को सत्ता के करीब रखा है, लेकिन, इस समीकरण में लव (कुर्मी) को जबरदस्त फायदा मिला तो कुश (कुशवाहा) समाज में नाराजगी दिखी।

इसी नाराजगी का लाभ उठाने के लिए भाजपा ने पहले ही प्रदेश की कमान सम्राट चौधरी के हाथों सौंपी है तो कुर्मी समाज से आने वाले नीतीश के करीबी आरसीपी सिंह को भी साथ लिया है। भाजपा का इसका फायदा भी मिला है।

बिहार में भाजपा लव-कुश फॉर्मूले को जमीन पर उतारने के लिए लगातार प्रयास कर रही है और अब अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम है तो लव-कुश फॉर्मूले को हिंदुत्व से जोड़ने की योजना बनाई है।

रथ के साथ चल रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता जेपी वर्मा कहते हैं कि 500 साल के लंबे संघर्ष और कई लोगों के बलिदान के बाद भगवान राम भव्य मंदिर में पहुंच रहे हैं। आज लव-कुश समाज कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए इस रथ यात्रा का आयोजन हो रहा है। उन्होंने किसी भी राजनीति से इनकार करते हुए कहा कि बिहार मां जानकी की धरती है और यह रथ लोगों को अयोध्या जाने का निमंत्रण दे रही है।