वाराणसी/उत्तर प्रदेश (Varanasi/Uttar Pradesh), 26 अक्टूबर 2024, शनिवार : ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े मामले में शुक्रवार को हिंदू पक्ष को सिविल जज सीनियर डिविजन के फास्ट ट्रैक कोर्ट से निराशा मिली। कोर्ट ने हिंदू पक्ष की ओर से प्रस्तुत किए गए प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया।
इस फैसले के बाद हिंदू पक्ष के वकील और समर्थकों में निराशा व्याप्त हो गई है। कोर्ट ने कहा कि ज्ञानवापी के पूरे परिसर का सर्वे नहीं कराया जाएगा। हिंदू पक्ष की याचिका में पूरे ज्ञानवापी परिसर की एएसआई सर्वे की मांग की गई थी। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
कोर्ट के इस आदेश के बाद अब यह मामला एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गया है। कोर्ट के फैसले पर हिन्दू पक्ष के मुख्य अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी और हिंदू पक्ष अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी की प्रतिक्रिया सामने आई है।
हिंदू पक्ष के प्रमुख अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि हमारी ओर से दी गई अतिरिक्त सर्वेक्षण के आवेदन को निरस्त कर दिया गया है। अब हम इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में जाएंगे। हमारी मांग थी कि एएसआई द्वारा पूरे परिसर की सर्वे कराई जाए। मुझे लगता है कि इस न्यायालय ने माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन नहीं किया है। उच्च न्यायालय ने इस कोर्ट को निर्देशित किया था कि अगर 4 अप्रैल 2021 के अनुसार पूर्व में दाखिल की गई एएसआई रिपोर्ट संतोषजनक नहीं है, तो अतिरिक्त सर्वे मंगाने का अधिकार है। इस आदेश का उल्लंघन किया गया है। हम इस आदेश की कॉपी लेने के बाद उच्च न्यायालय जाएंगे।
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि अतिरिक्त सर्वे की जो मांग की गई थी, उसे कोर्ट ने निरस्त कर दिया है। हमारी मांग थी कि ज्ञानवापी परिसर के बचे हुए इलाके का भी सर्वे कराया जाए।
उल्लेखनीय है कि कोर्ट में हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी के मुख्य गुंबद के नीचे शिवलिंग होने का दावा किया है। इसके साथ ही, हिंदू पक्ष ने यहां खुदाई कराकर एएसआई सर्वे कराने की मांग की। हालांकि, मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि खुदाई से मस्जिद स्थल को नुकसान पहुंच सकता है।