जमुई/बिहार। लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक, पद्म भूषण से सम्मानित एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय रामविलास पासवान की 79वीं जयंती के अवसर पर केकेएम कॉलेज जमुई के स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. डॉ. गौरी शंकर पासवान ने उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर उन्होंने रामविलास पासवान को भारतीय संसद के सजग प्रहरी, दलित चेतना के अग्रदूत और जनसेवा के प्रतीक पुरुष के रूप में याद किया।
प्रो. पासवान ने कहा कि स्व. पासवान राजनीति में नैतिकता, पारदर्शिता और समरसता के प्रतीक थे। वे संविधान के सच्चे रक्षक और लोकतांत्रिक मूल्यों के सशक्त प्रतिनिधि थे। उनका मानना था कि “दलित सिर्फ वोट नहीं, बल्कि भारत का मस्तक हैं”। उन्होंने दलितों को केवल एक वर्ग के रूप में नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय के संवाहक के रूप में देखा।
उन्होंने आगे कहा कि रामविलास पासवान को केवल दलितों का नेता कहना उनकी विराट और सर्वस्पर्शी भूमिका को सीमित करने जैसा है। वे आठ बार लोकसभा के सदस्य रहे और छह प्रधानमंत्रियों के साथ काम करते हुए रेलवे, संचार, कोयला, इस्पात, रसायन, उर्वरक, उपभोक्ता मामले जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कुशल संचालन किया। हाजीपुर लोकसभा सीट से 5 लाख से अधिक मतों से जीत दर्ज कर उन्होंने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया और लोकतंत्र की ताकत का वैश्विक संदेश दिया।
प्रो. गौरी शंकर ने कहा कि रामविलास पासवान परिवर्तन की राजनीति के प्रतीक थे। उन्हें जाति की सीमाओं में बांधना उनके राष्ट्रव्यापी योगदान का अपमान होगा। वे समावेशी भारत के प्रतीक थे, जिनका जीवन हर मजहब, वर्ग और भाषा के लोगों के साथ जुड़ा था। यही कारण है कि उन्हें भारतीय राजनीति का गावस्कर और तेंदुलकर कहा जाता है।
उन्होंने यह भी कहा कि रामविलास पासवान ने न केवल समाज के वंचित तबकों को आवाज दी, बल्कि लोकतंत्र को भी मजबूती प्रदान की। आज उनके विचार और सिद्धांत पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हैं। उनकी विचारधारा की मशाल आज उनके पुत्र और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के हाथों में है, जो उनके अधूरे सपनों को पूरा करने में जुटे हैं।
समाज सेवा, समानता और समरसता के पक्षधर स्व. रामविलास पासवान को यह राष्ट्र युगों तक स्मरण करता रहेगा।
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