चमत्कारी जामसांवली हनुमान मंदिर — जहां भगवान की नाभि से निकलता है जल, माना जाता है भूत-प्रेत और रोगों का नाशक


नई दिल्ली, 24 अक्टूबर 2025। भारत में भगवान हनुमान के असंख्य मंदिर हैं, जिनसे जुड़ी कई चमत्कारिक कथाएँ और आस्थाएँ लोकजीवन का हिस्सा बन चुकी हैं। इन्हीं मंदिरों में एक अत्यंत अद्भुत और रहस्यमयी मंदिर है — मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में स्थित जामसांवली हनुमान मंदिर, जहां भगवान हनुमान की नाभि से निरंतर जलधारा प्रवाहित होती है। कहा जाता है कि यह जल न केवल रोगों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि भूत-प्रेत बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जाओं को भी समाप्त कर देता है।

जामसांवली हनुमान मंदिर की अनोखी पहचान
छिंदवाड़ा जिले के नागपुर–छिंदवाड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित यह मंदिर जाम नदी और सर्पा नदी के संगम स्थल के पास बसा है। यह स्थान प्राचीनकाल से ही आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र माना जाता है। स्थानीय किंवदंती के अनुसार, लंका विजय के समय जब भगवान हनुमान संजीवनी बूटी लेकर लौट रहे थे, तब उन्होंने यहीं कुछ समय के लिए विश्राम किया था।

इसी वजह से इस मंदिर में स्थापित भगवान हनुमान की प्रतिमा विश्राम मुद्रा में है — जो देश के किसी अन्य मंदिर में देखने को नहीं मिलती। मंदिर परिसर में एक विशाल पीपल का वृक्ष है, जिसके नीचे भगवान हनुमान की प्रतिमा स्थापित है। यही वह स्थान है जहां से उनकी नाभि से सदियों से जलधारा निकलती आ रही है।

भक्तों की अटूट आस्था और जल का रहस्य
इस जलधारा का स्रोत आज तक किसी को ज्ञात नहीं हो सका है। मंदिर के पुजारियों का कहना है कि यह दिव्य जल कभी सूखता नहीं, चाहे गर्मी कितनी भी तीव्र क्यों न हो। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यह जल दैवीय शक्ति से प्रवाहित होता है और इसे पीने या घर ले जाने से रोग, भय, और भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

मंदिर में हर दिन हजारों की संख्या में भक्त जल ग्रहण करने के लिए कतार में खड़े रहते हैं। बहुत से श्रद्धालु अपने परिजनों के स्वास्थ्य कल्याण हेतु यह जल बोतलों में भरकर घर ले जाते हैं।

भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति और विशेष परहेज की परंपरा
मान्यताओं के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति पर नकारात्मक ऊर्जा या भूत-प्रेत का प्रभाव हो, तो उसे जामसांवली हनुमान मंदिर में दर्शन करने की सलाह दी जाती है। कहा जाता है कि हनुमान जी की नाभि से निकला यह जल पीने पर नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है।

हालांकि, इसके बाद भक्त को सवा महीने का संयम व्रत रखना होता है — इस दौरान लहसुन, प्याज, मांस, शराब तथा किसी भी प्रकार के अनैतिक आचरण से दूर रहने का निर्देश दिया गया है।

दोष निवारण और मंगल कृपा का स्थान
जामसांवली मंदिर को ज्योतिषीय दोषों से मुक्ति का स्थान भी माना जाता है। कहा जाता है कि अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि या मंगल दोष हो, तो इस मंदिर में पूजा-अर्चना और हनुमान जी को लाल चोला अर्पित करने से दोष दूर हो जाते हैं। विशेषकर आषाढ़ मास के पहले मंगलवार को भक्तगण हनुमान जी को लाल लंगोट और चोला चढ़ाते हैं, जिससे मंगल दोष शांत होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

एक रहस्यमयी किंवदंती – जब मूर्ति बदली मुद्रा
स्थानीय कथा के अनुसार, कभी मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा खड़ी अवस्था में थी। कहा जाता है कि वर्षों पूर्व कुछ डाकू मंदिर परिसर के पीपल वृक्ष के नीचे छिपे खजाने को लूटने आए। तभी चमत्कारिक रूप से भगवान हनुमान की मूर्ति विश्राम मुद्रा में परिवर्तित हो गई और डाकू भयभीत होकर भाग खड़े हुए। तब से यह प्रतिमा आज तक उसी मुद्रा में स्थापित है। हालांकि खजाने की कथा का कोई प्रमाण आज तक नहीं मिला, लेकिन भक्तों की आस्था आज भी उतनी ही दृढ़ है।

आस्था, रहस्य और चमत्कार का संगम
जामसांवली हनुमान मंदिर आज देशभर के उन चुनिंदा स्थानों में से एक है, जहां आस्था और अद्भुत प्राकृतिक रहस्य का संगम दिखाई देता है। प्रतिदिन यहां आने वाले हजारों भक्त अपने जीवन की समस्याओं से मुक्ति की कामना करते हैं और इस चमत्कारी जल को दिव्य वरदान मानकर ग्रहण करते हैं। माना जाता है कि जो सच्चे मन से जामसांवली के हनुमान बालाजी का दर्शन करता है, उसके जीवन से हर प्रकार की बाधा, भय और कष्ट दूर हो जाते हैं। यही कारण है कि यह मंदिर आज भी मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में श्रद्धा और चमत्कार का प्रतीक बना हुआ है।
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