जंगलराज’ से ‘जीरो री-पोलिंग’ तक—बिहार विधानसभा चुनाव ने रचा इतिहास, 67.13% मतदान के साथ बना नया रिकॉर्ड

पटना/बिहार, 15 नवंबर 2025, शनिवार : बिहार ने इस वर्ष अपने चुनावी इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है। विधानसभा चुनाव 2025 न केवल शांतिपूर्ण रहे, बल्कि कई उल्लेखनीय उपलब्धियों के कारण इस बार का चुनाव राजनीतिक और प्रशासनिक दृष्टि से ‘ऐतिहासिक’ बन गया।
सबसे बड़ी बात—बिहार में पहली बार 67.13 प्रतिशत का रिकॉर्ड मतदान हुआ, जो अब तक की सबसे ऊंची मतदान दर है। इसके साथ ही राज्य ने जंगलराज के दौर में कुख्यात हिंसक और धांधलीयों से भरे चुनावी माहौल से निकलकर पूरी तरह हिंसा-मुक्त और शून्य पुनर्मतदान (Zero Re-Polling) वाला चुनाव संपन्न किया।

पहली बार बिहार में एक भी बूथ पर दोबारा मतदान नहीं

चुनाव आयोग के अनुसार, पूरे राज्य में एक भी मतदान केंद्र पर रिपोल की जरूरत नहीं पड़ी। वोटिंग शांतिपूर्ण, व्यवस्थित और बिना किसी बड़े व्यवधान के पूरी हुई।
यह बिहार में चुनावी प्रक्रियाओं की पारदर्शिता और सुरक्षा व्यवस्था के मजबूत होने का सबसे बड़ा संकेत माना जा रहा है।

तेजस्वी के 'जंगलराज' आरोपों के उलट—इस बार बिहार रहा एकदम शांत

राज्य में कई वर्षों तक “जंगलराज” का शब्द राजनीतिक विमर्श में छाया रहा। खासकर 1990 और 2000 के दशक में चुनावी हिंसा, बूथ कैप्चरिंग, हत्याएं और बड़े पैमाने पर धांधली आम थीं। विपक्ष अक्सर राजद शासनकाल को इन घटनाओं के कारण ‘जंगलराज’ बताता रहा है।

लेकिन 2025 का चुनाव इस छवि को पूरी तरह उलटता दिखा, जहां न कोई गोली चली, न बूथ कैप्चरिंग हुई और न ही पुनर्मतदान की नौबत आई।

अतीत में चुनाव हिंसा की भयावह तस्वीर

बिहार में पहले के चुनाव अक्सर हिंसा से लथपथ होते थे। आंकड़े इसकी पुष्टि करते है -

1985: चुनाव के दौरान 63 हत्याएं हुईं, और 156 बूथों पर रिपोल कराना पड़ा।

1990: जनता दल के सत्ता में आने वाले चुनाव में 87 मौतें दर्ज की गईं।

1995: लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में चुनाव हुए, लेकिन हिंसा इतनी बढ़ गई कि तत्कालीन चुनाव आयुक्त टी.एन. शेषन ने चार बार चुनाव स्थगित किए।

2005: हिंसा और कदाचार के कारण 660 मतदान केंद्रों पर रिपोल कराया गया। यही वर्ष था जब नीतीश कुमार के नेतृत्व में जदयू पहली बार सत्ता में आई।

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि बिहार में कभी चुनाव का मतलब भय, फर्जीवाड़ा और रक्तरंजित संघर्ष हुआ करता था।

2005 के बाद बदलते हालात, 2025 में सुरक्षा और पारदर्शिता की नई मिसाल

नीतीश कुमार के शासनकाल के बाद से बिहार की कानून-व्यवस्था में व्यापक सुधार आए। बूथ कैप्चरिंग, फर्जी वोटिंग और हिंसा की घटनाएं लगातार कम होती गईं।
2025 में आकर यह सुधार अपने सर्वोच्च स्तर पर दिखाई दिया —

एक भी हिंसक घटना नहीं
कोई भी बूथ विवादित नहीं
कोई पुनर्मतदान की मांग नहीं
रिकॉर्ड मतदान प्रतिशत

चुनाव आयोग और प्रशासन ने मतदान के दिन सुरक्षा की त्रिस्तरीय व्यवस्था लागू की, जिसके कारण वोटर्स बिना डर के मतदान केंद्रों तक पहुंचे।

नया बिहार – जागरूक मतदाता और मजबूत चुनाव प्रबंधन

विशेषज्ञों का मानना है कि इतने शांतिपूर्ण और व्यवस्थित चुनाव से बिहार की लोकतांत्रिक छवि और मजबूत हुई है। बढ़ी हुई मतदान दर यह संकेत देती है कि राज्य के लोग अब विकास, स्थिरता और सुशासन की दिशा में अधिक सक्रियता से भाग ले रहे हैं।

2025 का यह चुनाव साबित करता है कि बिहार अब अतीत की हिंसा और धांधली वाली छवि से बहुत आगे बढ़ चुका है। ‘जंगलराज’ से ‘जीरो री-पोलिंग’ तक का यह सफर न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि बिहार को नए राजनीतिक युग की ओर अग्रसर करता है।
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