पटना/बिहार। आचार्य डॉक्टर राहुल परमार जिनका नाम कुछ वर्षों पहले तक केवल शैक्षणिक और आध्यात्मिक जगत में जाना जाता था, आज बिहार की राजनीति में तेजी से उभरते प्रभावशाली चेहरे के रूप में स्थापित हो चुका है। जदयू के प्रदेश सचिव के तौर पर उनकी पहचान अब केवल एक राजनीतिक कार्यकर्ता की नहीं, बल्कि एक ऐसी बौद्धिक शक्ति की है, जिसकी बातों का वजन है, जिसकी भविष्यवाणियों का आधार है और जिसकी पकड़ राष्ट्रीय स्तर तक फैली हुई है।
राष्ट्रीय स्तर पर उनकी पहचान एक प्रख्यात लेखक, धर्म और ज्योतिष के गंभीर अध्येता तथा विश्लेषक के रूप में रही है। देश के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में सेवा दे चुके आचार्य परमार का शैक्षणिक अनुभव उनके राजनीतिक व्यक्तित्व को और धार देता है। देश के एलीट क्लास, नौकरशाही, बौद्धिक जगत और विभिन्न कॉरपोरेट समूहों के बीच उनकी गहरी पैठ ने उन्हें एक ऐसा राजनीतिक सलाहकार और रणनीतिकार बना दिया है, जिसका प्रभाव अक्सर पर्दे के पीछे रहकर भी बहुत बड़ा होता है।
आचार्य राहुल परमार की विशिष्टता यह है कि उन्होंने राजनीति को केवल सत्ता या संगठन का माध्यम नहीं माना, बल्कि इसे सामाजिक चेतना और सैद्धांतिक दिशा प्रदान करने वाली ऊर्जा के रूप में देखा। यही कारण है कि वे अपने लेखन में भी राजनीति को एक व्यापक सामाजिक परिघटना के रूप में प्रस्तुत करते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर लिखी गई उनकी कई पुस्तकें इसी राजनीतिक चिंतन और अध्ययन की उपज हैं। नीतीश कुमार के व्यक्तित्व, उनकी कार्यशैली, उनके शासन मॉडल और उनके सामाजिक अभियानों पर परमार की दृष्टि अत्यंत विस्तृत और विश्लेषणात्मक है। इस विषय पर उनका शोध-आधारित लेखन उन्हें अन्य राजनीतिक लेखकों से अलग खड़ा करता है।
उनकी एक बड़ी पहचान राजनीतिक ज्योतिष के क्षेत्र में भी है। विधानसभा चुनाव से पहले जब पूरा बिहार राजनीतिक अनिश्चितताओं में डूबा हुआ था, ठीक उसी समय आचार्य राहुल परमार ने चा-गणना और ग्रह-नक्षत्रों के विस्तृत विश्लेषण के आधार पर घोषणा कर दी थी कि एक बार फिर नीतीश कुमार ही सत्ता में लौटेंगे और आंकड़ा 200 के पार जाएगा। उनके इस पूर्वानुमान ने न केवल राजनीतिक गलियारों में हलचल मचाई थी, बल्कि चुनाव परिणाम आने के बाद उनकी भविष्यवाणी की सटीकता ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा के केंद्र में ला दिया।
जदयू में उनकी सक्रिय भूमिका, संगठनात्मक मजबूत पकड़, और कार्यकर्ताओं के बीच बढ़ती लोकप्रियता यह संकेत देती है कि आने वाले वर्षों में आचार्य डॉक्टर राहुल परमार बिहार की राजनीति में एक निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। वे केवल एक नेता नहीं, बल्कि एक विचार, एक बौद्धिक शक्ति और एक विश्लेषक के रूप में विकसित हो रहे हैं। उनके भीतर लेखक की संवेदना, अध्येता की गंभीरता, शिक्षक का संयम और राजनेता की तत्परता, चारों का अद्भुत संगम दिखाई देता है।
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