पटना/बिहार (Patna/Bihar), 6 नवंबर 2023, सोमवार : बिहार की जातीय गणना रिपोर्ट 7 नवंबर यानी मंगलवार को विधानसभा के दोनों सदनों में पेश की जाएगी। ये निर्णय दोनों सदनों की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में लिया गया है। बिहार बीजेपी के अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने लंच के बाद इस मुद्दे पर डिबेट की मांग की है। जिस पर संसदीय और वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि सरकार सदन के सदस्यों की राय का संज्ञान लेगी।
आपको बता दें जातीय गणना रिपोर्ट को लेकर बिहार में सियासत चरम पर है। बीजेपी लगातार जातीय सर्वे में धांधली और भेदभाव के आरोप लगाती आई है। रविवार को मुजफ्फरपुर की रैली में कैंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जातीय गणना रिपोर्ट को छलावा करार दिया था। और कहा था कि राजद सुप्रीमो लालू यादव के दबाव में यादवों और मुस्लिमों की आबादी बढ़ाकर दिखाई गई है। जो अति पिछड़ा और पिछड़ा वर्ग के साथ अन्याय है। शाह ने कहा कि जातीय गणना का फैसला उस वक्त का है, जब बिहार एनडीए गठबंधन की सरकार थी। लेकिन जातीय गणना में बिहार के लोगों के साथ धोखा हुआ है।
इससे पहले भी बीजेपी जातीय गणना रिपोर्ट पर नीतीश सरकार को घेरती आई है। हाल ही में संपन्न हुई सर्वदलीय बैठक में एनडीए के सहयोगी और हम के संस्थापक जीतन मांझी ने भी जातीय गणना में उपजाति को लेकर सवाल खड़े किए थे।और कहा कि कैसे यादवों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ गई और बाकी जातियों की संख्या कम हो गई। वहीं बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने भी कई जातियों को उपजाति में शामिल करने पर आपत्ति जताई थी। ऐसे में 7 नवंबर को सदन में पेश होने वाली जातीय गणना रिपोर्ट पर हंगामा तय है।
आपको बता दें। बिहार में जातीय गणना की रिपोर्ट 2 अक्टूबर जारी थी। जिसके मुताबिक राज्य में अत्यंत पिछड़ा और पिछड़ा वर्ग की आबादी 63% है। इनमें पिछड़ा वर्ग 27.12 व अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01% है। वहीं अनुसूचित जाति 19.65% और अनुसूचित जनजाति 1.68% है। जबकि, अनारक्षित (हिन्दू व मुसलमान) की संख्या कुल आबादी का 15.52% है। उनमें सवर्ण (भूमिहार, ब्राह्मण, राजपूत व कायस्थ) 10.56% हैं। वहीं राज्य में अति पिछड़ा, यादव, दलित एवं मुस्लिम की आबादी बढ़ी है। जबकि सवर्णो में शामिल चार जातियों की आबादी घटी है।