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वेदों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ने के लिए 100 करोड़ रुपए की परियोजना

नई दिल्ली, 19 नवंबर 2023। वेदों को शिक्षा प्रणाली से जोड़ने के लिए 100 करोड़ रुपये की परियोजनाएं बनाई गई हैं। यह धनराशि केंद्र सरकार द्वारा दी जा रही है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक इसका उपयोग भारतीय भाषाओं और वेदों को आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ने के लिए किया जाएगा। वेद और भारतीय भाषाओं के लिए 100 करोड़ रुपये की यह परियोजनाएं इसी माह से शुरू की जा रही है।

गौरतलब है कि वैदिक शिक्षा पर आधारित बोर्ड से दसवीं और बारहवीं कक्षा पास करने वाले छात्र अब उच्च शिक्षा के लिए किसी भी कॉलेज में दाखिला लेने के पात्र होंगे। इसमें मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसे उच्च शिक्षण संस्थान भी शामिल हैं। यानी वैदिक बोर्ड से दसवीं और बारहवीं कक्षा पास करने वाले छात्र एमबीबीएस और इंजीनियरिंग समेत किसी भी कॉलेज में तय क्राईटेरिया के अनुसार आगे की पढ़ाई जारी रख सकेंगे।

यह महत्वपूर्ण निर्णय सरकार द्वारा नामित निकाय, एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज (एआईयू) द्वारा लिए गए निर्णय पर आधारित है। एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज के इस निर्णय का लाभ महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद संस्कृत शिक्षा बोर्ड (एमएसआरवीएसएसबी), महर्षि संदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान (एमएसआरवीवीपी) और पतंजलि योगपीठ के ट्रस्टियों द्वारा संचालित वैदिक शिक्षा बोर्ड के छात्रों को मिलेगा।

वैदिक शिक्षा से संबंधित पाठ्यक्रमों और प्रमाणपत्रों को मान्यता, वैदिक पाठ्यक्रम से दसवीं कक्षा के प्रमाण पत्र (वेद भूषण) और बारहवीं कक्षा के प्रमाण पत्र (वेद विभूषण) द्वारा दी जाने वाली परीक्षाओं और प्रमाणपत्रों के लिए समकक्षता को भी मंजूरी दी गई है।

इससे पहले इन वैदिक बोर्ड के छात्रों को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा परीक्षा द्वारा आयोजित एक परीक्षा पास करनी होती थी। एनओएसई परीक्षा पास करने वाले ही आगे की शिक्षा के लिए कॉलेजों में प्रवेश के लिए आवेदन करने के पात्र थे। हालांकि, अब इस परीक्षा में बैठने की आवश्यकता नहीं है। वहीं, संस्कृत केंद्रीय विश्वविद्यालय पुरी में 'लक्ष्मी पुराण' का संस्कृत अनुवाद भी सार्वजनिक किया गया है।

'लक्ष्मी पुराण' पर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि वेदों के ज्ञान, मूल्य और संदेशों को आत्मसात करके हम सामाजिक न्याय, महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की ओर बढ़ सकते हैं। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक महान संत कवि बलराम दास द्वारा रचित 'लक्ष्मी पुराण' एक भक्तिमय गीतात्मक काव्य है, जो 15वीं शताब्दी ई. में पुरी, ओडिशा में प्रकट हुआ था। मंत्रालय का कहना है कि बलराम दास को उड़िया भाषा में उनकी 'महान कृति' 'रामायण' के कारण ओडिशा के 'बाल्मीकि' के रूप में जाना जाता है। वह उड़िया साहित्य के 'पंचसखा' युग से संबंधित हैं, जो भक्ति और ब्रह्म ज्ञान के प्रचार के लिए जाना जाता है।

श्री सदाशिव परिसर, पुरी, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के सबसे बड़े और प्रमुख परिसरों में से एक है, जो 15.28 एकड़ में फैला हुआ है। इसमें एक शैक्षणिक और आवासीय परिसर भी है। संस्कृत के विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 100 करोड़ रुपये की राशि अनुमोदित की गई है।

Rs 100 crore project to connect Vedas with modern education