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ज्ञानवापी केस : एएसआई ने बंद लिफाफे में पेश की सर्वे की रिपोर्ट

वाराणसी/उत्तर प्रदेश, 18 दिसंबर 2023, सोमवार। ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में हुए सर्वे की रिपोर्ट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम ने सोमवार को जिला जज की अदालत में सीलबंद लिफाफे में पेश की। इससे पहले ही मुस्लिम पक्ष ने इसे लेकर कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था।

जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने 18 दिसंबर को सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था। रिपोर्ट पेश करने से पहले मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में आवेदन देकर मांग की थी कि वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में हुए सर्वे की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में एएसआई पेश करे।

बगैर हलफनामे के किसी को भी रिपोर्ट सार्वजनिक करने की इजाजत न दी जाए। रिपोर्ट सब्मिट करने के लिए सुरक्षा के बीच 5 सदस्यीय टीम जिला जज कोर्ट पहुंची। एएसआई ने मेडिकल कारणों से 7 दिन का समय मांगा था, जिसके बाद जिला जज ने एएसआई को रिपोर्ट सबमिट करने के लिए 18 दिसंबर की तारीख तय की थी।

सोमवार को वादी-प्रतिवादी और दोनों पक्षों के सभी वकील मौजूद रहे। एएसआई की टीम सर्वे रिपोर्ट पेश करने के लिए 5 बार समय ले चुकी थी। एएसआई सर्वेक्षण की मांग को लेकर 16 मई को याचिका दायर की गई थी। इसे दायर करने वाली चार महिलाओं की अगुआई वकील विष्णु शंकर जैन ने की थी।

हिंदू पक्ष के वकील ने वहां हिंदू मंदिर के प्रतीक चिह्न मिलने का दावा किया था। इसके बाद वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्‍ण विश्वेश की कोर्ट ने 21 जुलाई 2023 को ज्ञानवापी परिसर के सील वजूखाने को छोड़कर बाकी सभी हिस्‍से और तहखानों के सर्वे का आदेश दिया था।

ज्ञात हो कि बीते 11 दिसंबर को एएसआई की ओर से कहा गया था कि सुपरिटेंडिंग आर्कियोलॉजिस्ट अविनाश मोहंती का ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ने और तबीयत खराब होने की वजह से वह अदालत में पेश होकर रिपोर्ट दाखिल कर पाने में असमर्थ हैं। इसलिए रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय और दिया जाए।

इस पर जिला जज की अदालत ने एक हफ्ते की मोहलत और देते हुए रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 18 दिसंबर की तिथि नियत की थी। ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक विधि से जांच-सर्वे करने के लिए पुरातत्वविद्, रसायनशास्त्री, भाषा विशेषज्ञों, सर्वेयर, फोटोग्राफर समेत तकनीकी विशेषज्ञों की टीम लगी रही।

परिसर की बाहरी दीवारों (खासतौर पर पश्चिमी दीवार), शीर्ष, मीनार, तहखानों में परंपरागत तरीके से और जीपीएस, जीपीआर समेत अन्य अत्याधुनिक मशीनों के जरिए साक्ष्यों की जांच की गई। चार अगस्त से दो नंवबर तक चले सर्वे के दौरान एएसआइ की टीम का नेतृत्व अपर महानिदेशक आलोक त्रिपाठी ने किया।

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