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पढ़िए अभिनेता और साहित्यकार डॉ. शैलेन्द्र श्रीवास्तव की कविता “राम-राष्ट्र-मन्दिर”

योध्या के नवनिर्मित श्री राम जन्मभूमि मंदिर में होने वाले श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर संपूर्ण विश्व का माहौल राममय है। ऐसे में सुप्रसिद्ध अभिनेता और साहित्यकार डॉ. शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने भी राम लला और राम मंदिर निर्माण पर अपनी भावनाएं कविता के माध्यम से अभिव्यक्त की है। पढ़िए - 
“राम-राष्ट्र-मन्दिर”
सौगन्ध राम की खाई थी,
      और मन्दिर वहीं बनाया है।
जो स्वप्न देखा था भारत ने,
        उसको साकार बनाया है।
संघर्ष पाँच सौ वर्षों का,
         पर हमने धैर्य दिखाया है।
जो रामलल्ला का आँगन था,
    उन्हें ठुमक वहीं पे चलाया है।
संघर्ष चला लंबा लेकिन,
 रामलल्ला को वहीं बिठाया है।
लल्ला के मंदिर संग संग,
        राष्ट्र मंदिर भी बनवाया है।
प्राणप्रतिष्ठा गर्व का क्षण है,
   सौभाग्य से यह दिन आया है।
शुभ अक्षत कलश में भर-भर के,
  निमंत्रण घर-घर भिजवाया है।
रामनवमी पे सूर्य तिलक करें,
      श्री राम को वहाँ बिठाया है।
बजरंगबली के स्वामी को,
         उनका स्थान दिलाया है।
जो रोम रोम में बसते हैं,
     उन्हें नयनो में भी बसाया है।
रघुनाथ ही नाथ सभी के हैं,
     ये विश्व को हमने बताया है।
दिव्य सनातनी गौरव को,
    प्रतिष्ठित जग में करवाया है।
जो सत्य सनातन सुन्दर है,
       उसकी महिमा को गाया है।
ये सहज राम का प्रेम है जो,
    जन-जन के हृदय समाया है।
है राष्ट्र प्रथम सर्वोपरि है,
  उस वचन को हमने निभाया है।
जब रक्त से लाल हुई सरयू
     उस दिन को नहीं भुलाया है।
बलिदान दिया जिन भक्तों ने
    उनको अब न्याय दिलाया है।
जहाँ रक्त बहा रामभक्तों का,
 उस माटी से तिलक लगाया है।
स्वागत हो भव्य राम प्रभु का,
      घर-घर में दीप जलाया है।
शैलेन्द्र अकिंचन रामभक्त से,
    प्रभु राम ने गीत लिखाया है।
सौगन्ध राम की खाई थी,
       और मन्दिर वहीं बनाया है।
            - डॉ. शैलेन्द्र श्रीवास्तव