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आसान नहीं है दिनेश कार्तिक हो जाना!

खेल डेस्क/देसी खबर मीडिया (अविनाश कुमार तिवारी) : हम जब मीना बाजार जाते थे तब वहाँ एक नाव वाला झूला रहता है एक बार ऊपर जाता है फिर एकबार निचे जाता है स्टेबल नही रहता ठीक ऐसा ही दिनेश कार्तिक का कैरियर रहा है। 

2002 में मात्र 16 साल कुछ दिन की उम्र में ही उन्हें घरेलू क्रिकेट में तमिलनाडु की टीम में जगह मिल गई। लेकिन जबकि पहली दिलीप ट्रॉफी खेलने गए तब बल्लेबाज के रूप में ठीक ठाक लेकिन कीपर के रूप में बुरी तरह से असफल रहे तमिलनाडु की टीम से बाहर भी हुए।

पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज और चीफ सलेक्टर किरण मोरे ने उनकी खामियां दूर करने में भरपूर मदद की। 2004 में जब टीम सलेक्शन में दक्षिण की पकड़ मजबूत थी तब दिनेश कार्तिक को टेस्ट में पदार्पण का मौका मिल गया।
उसी वर्ष वनडे खेलने का मौका भी 19 साल के युवा कार्तिक को मिल गया।

तब जबकि घरेलू क्रिकेट में उनके सीनियर महेंद्र सिंह धोनी को पदार्पण का मौका नही मिल पाया था। लेकिन दिनेश मिले मौकों को भुना नही पाए। कार्तिक ने मौकों को भुना लिया होता और अपने शुरुआती कैरियर को लम्बा खींच लेते तो शायद 2005 में भारत को कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी मिलते ही नही।

दिनेश को लेकर ये कहना बिल्कुल गलत होगा कि धोनी युग मे उनका होना उनके कैरियर के लिए बुरा साबित हुआ। जबकि धोनी के पहले और धोनी के बाद भी उनको बार बार मौके मिलते रहे और दिनेश बार बार अपनी जगह पक्की करने में नाकामयाब रहे।

हालांकि तमिलनाडु टीम के उनके साथी और मित्र मुरली विजय के साथ उनकी पत्नी का प्रेम संबंध चल जाना दिनेश फिर शादी का टूटना उनके लिए बहुत बुरा रहा। दोस्त और पत्नी दोनो से एकसाथ धोखा खाने से बुरा और क्या होगा।
हालांकि उनके शराबी हो जाने आत्महत्या का सोचना जैसी बातें मीडिया निर्मित हाइप के अतिरिक्त और कुछ नहीं।
2006 में जब वीरेंद्र सहवाग की कप्तानी में भारत ने अपना पहला T20 मैच खेला तब उस लो स्कोरिंग मैच में मैन ऑफ दी मैच कार्तिक ही रहे।

2007 की T20 वर्ल्ड कप विनिंग टीम के सदस्य कार्तिक भी थे।
2013 की बारिश और डकवर्थ लुइस नियम से प्रभावित icc चैंपियंसट्रॉफी जो भारत ने जीती उसमें शिखर धवन मिस्टर ICC बनकर उभरे तब कार्तिक का प्रदर्शन भी अपेक्षाकृत अच्छा था।
दिनेश कार्तिक को उनकी निदहास ट्रॉफी की उस पारी के लिए सबसे ज्यादा सराहना मिली जब 9 बॉलों पर नादब 28 तन बनाकर उन्होंने अति उत्साही बांग्लादेश के ख़िलाफ़ शर्मनाक हार से टीम इंडिया को बचा लिया।

हालाँकि उस मैच में विजय शंकर को खुद से उपर बैटिंग के लिए भेजने पर कार्तिक कप्तान रोहित से खफा भी हुए थे।
2010 में टेस्ट टीम से बाहर होने के बाद 2018 में फिर से टेस्ट कैप मिलना हो या। 2010 के बाद सीधे 2017 में T20 टीम में जगह मिलना अजब कमबैक से कम नही रहे।
आईपीएल 2022 में ढलान की ओर बढ़ चुके कार्तिक ने अपनी ताबड़तोड़ और कलात्मक बल्लेबाजी से कार्तिक ने सबको अपना मुरीद बना दिया। लेकिन 2023 में उनके प्रदर्शन से लगा कि 2022 तुक्का होगा अब कार्तिक के दिन लद गए। लेकिन 2024 में अपनी खतरनाक तथा और ज्यादा कलात्मक बल्लेबाजी से कार्तिक फिर जता रहे हैं कि शेर अभी बूढ़ा नही हुआ।

हालांकि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कार्तिक कभी वो मुकाम नही बना पाए जिसके लिए उनके पास टैलेंट भी था और मौका भी। हालांकि जीवन मे आई विपरीत परिस्थितियों मे,अनिश्चितताओं के मध्य कैसे डटे रहना है ये कार्तिक सिखाते हैं।