पटना/बिहार (Patna/Bihar), देसी खबर (Desi Khabar), 3 अप्रैल 2025, गुरुवार : लोक आस्था के महान पर्व चैती छठ का चार दिवसीय आयोजन मंगलवार से शुरू हो गया है। इस पर्व की शुरुआत नहाय-खाय के साथ हुई, जिसमें व्रतियों ने पवित्र नदी या तालाब में स्नान कर अपने शरीर को पवित्र किया और उसके बाद विशेष प्रसाद ग्रहण किया। बुधवार को व्रतियों ने खरना का प्रसाद ग्रहण किया, जो इस पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। गुरुवार को अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जो इस पर्व की मुख्य पूजा है। शुक्रवार को उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस पर्व का समापन हो जाएगा।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठ पूजा की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी, जब सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके की थी। कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे और वो रोज घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते थे। सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बने।
एक अन्य कथा के अनुसार, राजा प्रियंवद को कोई संतान नहीं थी, तब महर्षि कश्यप ने पुत्र की प्राप्ति के लिए यज्ञ कराकर प्रियंवद की पत्नी मालिनी को आहुति के लिए बनाई गई खीर दी। इससे उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन वो पुत्र मरा हुआ पैदा हुआ। प्रियंवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे। उसी वक्त भगवान की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं और उन्होंने राजा से कहा कि क्योंकि वो सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न हुई है, इसी कारण वो षष्ठी कहलाती है। उन्होंने राजा को उनकी पूजा करने और दूसरों को पूजा के लिए प्रेरित करने को कहा। राजा प्रियंवद ने पुत्र इच्छा के कारण देवी षष्ठी की व्रत किया और उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। तभी से छठ पूजा होती है।
इस पर्व के दौरान, लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं और उन्हें अर्घ्य देते हैं। यह पर्व सूर्य देव की कृपा और उनकी शक्ति को प्रदर्शित करता है। लोग इस पर्व के दौरान व्रत रखते हैं और सूर्य देव की पूजा करते हैं। यह पर्व लोगों को एकता और सामाजिक समरसता की भावना को बढ़ावा देता है।
Tags:
Bihar