वाराणसी/उत्तर प्रदेश (Varanasi/Uttar Pradesh), 29 अप्रैल 2025, मंगलवार : धार्मिक नगरी वाराणसी अपने प्राचीन मंदिरों और आध्यात्मिक वातावरण के लिए विश्वविख्यात है। यहां गंगा के घाटों से लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर तक, हर कोना भक्ति और आस्था में डूबा हुआ है। लेकिन इसी पावन नगरी में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जो अपनी अनूठी प्रतिमा के लिए पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। हम बात कर रहे हैं ‘मूंछ वाले हनुमान जी’ के मंदिर की, जो लोगों की आस्था का विशेष केंद्र बन गया है।
★ क्यों खास है यह मंदिर?
वाराणसी के अंधरापुल क्षेत्र में स्थित यह मंदिर आम हनुमान मंदिरों से बिल्कुल अलग है। यहां हनुमान जी की जो प्रतिमा स्थापित है, उसमें वे बड़ी-बड़ी वीरतापूर्ण मूंछों के साथ दिखाई देते हैं। यह स्वरूप उन्हें पारंपरिक भक्ति के साथ-साथ वीरता और स्वाभिमान का प्रतीक भी बनाता है।
★ मूंछों वाला यह स्वरूप क्या दर्शाता है?
भारतीय संस्कृति में मूंछों को हमेशा से शौर्य और पराक्रम का प्रतीक माना गया है। हनुमान जी का यह रूप युवाओं, सैनिकों और पहलवानों में अत्यंत लोकप्रिय है, क्योंकि यह स्वरूप शक्ति, साहस और आत्मबल का प्रत्यक्ष प्रतीक है।
★ कहा जाता है, हनुमान जी ने स्वयं दिए थे दर्शन
स्थानीय जनश्रुतियों के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना एक व्यक्ति को स्वप्न में हनुमान जी के मूंछों वाले स्वरूप के दर्शन होने के बाद हुई थी। मान्यता है कि उन्होंने आज्ञा दी थी कि उन्हें इसी रूप में स्थापित किया जाए। तभी से यह मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र बन गया।
★ मंगलवार और शनिवार को उमड़ती है भक्तों की भीड़
मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना मंगलवार और शनिवार को होती है। इन दिनों यहां भक्तों की लंबी कतारें लगती हैं। हनुमान चालीसा, आरती और सिंदूर अर्पण की रस्में पूरे उत्साह से निभाई जाती हैं।
★ युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत
यह मंदिर केवल भक्ति का स्थान नहीं, बल्कि स्वाभिमान और राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा भी देता है। स्थानीय युवाओं, पुलिस कर्मियों और सेना के जवानों में इस मंदिर के प्रति गहरी आस्था देखी जाती है। वे इसे शक्ति और मनोबल प्राप्त करने का स्थान मानते हैं।
★ वाराणसी के लिए एक और गौरव
‘मूंछ वाले हनुमान जी’ का यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह काशी की लोक परंपरा और सांस्कृतिक विविधता का भी सशक्त प्रतीक है। यहां का हर दर्शन, हर प्रार्थना और हर श्रद्धालु एक अलग ही ऊर्जा से भर जाता है।
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