सरकार ने DBT से 43.3 लाख करोड़ सीधे जनता के खातों में किए ट्रांसफर, ऐतिहासिक उपलब्धि

नई दिल्ली, 21 अप्रैल 2025, सोमवार : भारत सरकार द्वारा लागू की गई डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) योजना के माध्यम से अब तक 43.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे आम नागरिकों के बैंक खातों में स्थानांतरित की जा चुकी है। यह कदम सरकारी सब्सिडी और कल्याणकारी योजनाओं को पारदर्शी और प्रभावी तरीके से आम जनता तक पहुंचाने की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर साबित हुआ है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 21 अप्रैल 2025 तक कुल 43,35,808 करोड़ रुपये की राशि डीबीटी प्लेटफॉर्म के जरिए सीधे लाभार्थियों को ट्रांसफर की गई है। यह पहल न केवल लीकेज (भ्रष्टाचार और बिचौलियों द्वारा धन की चोरी) को रोकने में कारगर रही है, बल्कि इससे सरकारी धन का सटीक और समय पर उपयोग भी सुनिश्चित हुआ है।

वित्तीय वर्ष 2024-25 में ही 6.60 लाख करोड़ रुपये की राशि डीबीटी के तहत विभिन्न सब्सिडी और योजनाओं के अंतर्गत नागरिकों को हस्तांतरित की गई है। इस राशि में पीएम-किसान योजना के तहत फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 9.8 करोड़ किसानों को वितरित की गई 19वीं किस्त भी शामिल है, जिसमें 22,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे किसानों के खातों में जमा की गई, वह भी बिना किसी बिचौलिए या अतिरिक्त प्रक्रिया के।

डीबीटी प्रणाली की प्रमुख उपलब्धियां:

3.48 लाख करोड़ रुपये की बचत: डीबीटी के चलते अवैध भुगतान, फर्जी लाभार्थियों और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण पाकर सरकार ने अब तक इतनी बड़ी राशि की बचत की है।

लाभार्थी कवरेज में भारी विस्तार: 2014 में जहां डीबीटी के तहत लाभार्थियों की संख्या 11 करोड़ थी, वहीं आज यह आंकड़ा बढ़कर 176 करोड़ तक पहुंच चुका है, यानी 16 गुना वृद्धि।

सब्सिडी खर्च में कमी: जबकि कुल कल्याणकारी बजट में भारी बढ़ोतरी हुई है—2009-10 में 2.1 लाख करोड़ से बढ़कर 2023-24 में 8.5 लाख करोड़—इसके बावजूद कुल सब्सिडी व्यय की हिस्सेदारी 16% से घटकर 9% रह गई है, जो धन के बेहतर प्रबंधन और लक्ष्यित वितरण का संकेत देती है।

आधार और डिजिटल सिस्टम की भूमिका:
डीबीटी को प्रभावी बनाने में आधार से जुड़ी पहचान और प्रमाणीकरण प्रणाली ने अहम भूमिका निभाई है। इससे फर्जी लाभार्थियों की संख्या में भारी गिरावट आई है और सरकार बिना अतिरिक्त वित्तीय बोझ के अधिक लोगों तक सहायता पहुंचा पाने में सक्षम हुई है।

विशेषज्ञों और रिपोर्टों के अनुसार, डीबीटी ने कल्याण वितरण की पारंपरिक परिभाषा को ही बदल दिया है। अब पैसा बिचौलियों या एजेंसियों के जरिए नहीं, बल्कि सीधा लाभार्थी के खाते में पहुंचता है, जिससे लाभ पाने की प्रक्रिया में भरोसा और पारदर्शिता दोनों बढ़ी है।

यह प्रणाली नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया और न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन के सिद्धांत के तहत लागू की गई थी और अब इसे भारत के वित्तीय समावेशन और सामाजिक न्याय की दिशा में एक वैश्विक उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है।
और नया पुराने