वाराणसी/उत्तर प्रदेश। रविवार को सिगरा क्षेत्र में युवा काशी बिस्कुट एंड कन्फेक्शनरी व्यापार मंडल के तत्वावधान में "चाय पर चर्चा" कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अनौपचारिक बैठक में शहर के कई प्रमुख व्यापारी एकत्र हुए और व्यापार से जुड़े ज्वलंत मुद्दों पर खुलकर विचार विमर्श किया।
बैठक की शुरुआत एक गंभीर और संवेदनशील विषय पर हुई, जहां व्यापारियों ने हाल ही में पहलगाम में निर्दोष नागरिकों की धर्म के आधार पर की गई निर्मम हत्या की कड़े शब्दों में निंदा की। इस घृणित घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए उपस्थितजनों ने दो मिनट का मौन धारण कर मृतकों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
इसके बाद व्यापारियों ने बातचीत का रुख व्यापारिक समस्याओं और वर्तमान सरकार द्वारा व्यापारियों के प्रति अपनाए गए दृष्टिकोण की ओर मोड़ा। उपस्थित व्यापारियों ने एक स्वर में कहा कि मौजूदा समय में व्यापार करना अत्यंत कठिन होता जा रहा है। व्यापारियों ने अपनी समस्याओं को सिलसिलेवार ढंग से रखते हुए सरकार से व्यापारिक सहूलियतों की मांग की।
व्यापारियों द्वारा प्रमुख रूप से निम्नलिखित समस्याओं को उजागर किया गया:
जटिल नियम-कानून:
व्यापारियों ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा लागू किए गए नियम और कानून इतने जटिल हैं कि सामान्य व्यापारी के लिए उनका पालन करना अत्यंत कठिन हो गया है। इससे व्यापार करना दिन-ब-दिन चुनौतीपूर्ण बनता जा रहा है।
अत्यधिक कर दबाव:
व्यापारियों ने कहा कि वर्तमान में करों का बोझ अत्यधिक बढ़ गया है, जिससे उनकी लाभप्रदता में भारी गिरावट आई है। उन्होंने कर व्यवस्था को अधिक सरल और व्यापारी हितैषी बनाने की मांग की।
बढ़ती प्रतिस्पर्धा:
व्यापारियों ने चिंता जताई कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रवेश और उनके विशाल संसाधनों के कारण स्थानीय व्यापारी असहाय महसूस कर रहे हैं। इस असमान प्रतिस्पर्धा के कारण छोटे व्यापारियों के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है।
सरकारी भरोसे की कमी:
कई व्यापारियों ने यह भी कहा कि सरकार व्यापारियों के साथ विश्वास नहीं जताती। आए दिन नियमों में बदलाव और कठोर निरीक्षण की वजह से व्यापारी निवेश करने से डरते हैं।
अप्रभावी सरकारी योजनाएं:
व्यापारियों ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा व्यापार को बढ़ावा देने के लिए जो योजनाएं चलाई जा रही हैं, वे व्यवहारिक नहीं हैं और छोटे व्यापारियों तक इनका लाभ नहीं पहुंच पा रहा है।
वित्तीय संकट:
छोटे व्यापारियों ने कहा कि उन्हें ऋण और वित्तीय सहायता प्राप्त करने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इससे उनका व्यापार विस्तार रुक गया है।
समय प्रबंधन की समस्या:
व्यापारियों ने कहा कि जटिल सरकारी औपचारिकताओं के चलते उन्हें व्यापार संचालन के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता, जिससे उनका व्यवसाय प्रभावित हो रहा है।
समय पर सहायता की कमी:
सरकारी योजनाओं और सहायता कार्यक्रमों की जानकारी समय पर न मिल पाने की शिकायत करते हुए व्यापारियों ने कहा कि अगर सरकार समय रहते उचित मार्गदर्शन और समर्थन दे, तो व्यापारियों को राहत मिल सकती है।
संचार का अभाव:
व्यापारियों ने सरकार पर संवादहीनता का आरोप लगाते हुए कहा कि नीतियों में बदलाव और नई योजनाओं की जानकारी अक्सर देर से मिलती है, जिससे वे आवश्यक तैयारी नहीं कर पाते।
कार्यक्रम में कई गणमान्य व्यापारी उपस्थित रहे, जिनमें संजय गुप्ता, दीप्तिमान देव गुप्ता, मनीष गुप्ता, पवन गुप्ता, विकास गुप्ता, जित्तन चौधरी, हाजी शाहिद कुरैशी, शरद गुप्ता, सचिन मौर्य, आशीष गुप्ता और नीरज गुप्ता प्रमुख रूप से शामिल रहे।
व्यापारियों ने अंत में एक साझा संकल्प लेते हुए सरकार से अपील की कि वह व्यापारिक नीतियों को सरल बनाए, करों में राहत प्रदान करे और छोटे व्यापारियों को प्रोत्साहन देने के लिए विशेष योजनाएं लागू करे। बैठक सकारात्मक वातावरण में संपन्न हुई और व्यापारियों ने भविष्य में भी अपनी समस्याओं को संगठित तरीके से उठाने का संकल्प लिया।
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