स्पोर्ट्स डेस्क। आईपीएल 2025 में जहां क्रिकेट का रोमांच चरम पर है, वहीं खिलाड़ियों के विकेट सेलिब्रेशन भी चर्चा का विषय बनते जा रहे हैं। हाल ही में दो युवा गेंदबाज़ – चेन्नई सुपर किंग्स के अंशुल कंबोज और लखनऊ सुपर जायंट्स के दिग्वेश राठी – अपने-अपने अनूठे सेलिब्रेशन स्टाइल को लेकर सुर्खियों में हैं।
दिग्वेश राठी का उग्र "सिग्नेचर सेंड ऑफ" जहां उन्हें लाइमलाइट में ला रहा है, वहीं अंशुल कंबोज का यशस्वी जायसवाल को आउट करने के बाद 'हाथ जोड़कर' सेलिब्रेशन करना दर्शकों के दिल को छू गया। सोशल मीडिया पर इस विनम्रता की सराहना हो रही है, और इसे युवाओं के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण माना जा रहा है।
अब सवाल उठता है कि जब उग्र सेलिब्रेशन पर बीसीसीआई द्वारा जुर्माना लगाया जा सकता है, तो क्या अंशुल कंबोज जैसे खिलाड़ियों को सम्मानित नहीं किया जाना चाहिए?
★ जनता की मांग : अंशुल को मिले सम्मान, बने आदर्श
क्रिकेट प्रेमियों की राय है कि अगर दिग्वेश राठी के आक्रामक सेलिब्रेशन पर मैच फीस का कटौती संभव है, तो अंशुल कंबोज को उनके 'हंबल सेंड ऑफ' के लिए कम से कम एक करोड़ रुपये का पुरस्कार मिलना चाहिए। यह कदम न केवल खेल भावना को प्रोत्साहित करेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सकारात्मक उदाहरण भी बनेगा।
★ सेलिब्रेशन पर जुर्माना – कब तक और क्यों?
गेंदबाज का विकेट लेने के बाद का सेलिब्रेशन उसकी तत्काल भावनाओं की अभिव्यक्ति होती है। चाहे वो हाथ जोड़ने जैसा विनम्र इशारा हो या फिर जोश से भरा एक उग्र सेंड ऑफ – दर्शक हर अंदाज को सराहते हैं। ऐसे में बीसीसीआई को चाहिए कि वह एक समान नीति बनाए और खिलाड़ियों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सम्मान दे।
क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, भावना है – और जब तक यह भावना मैदान पर जीवंत रहती है, तब तक दर्शकों का जुड़ाव भी बना रहता है। बीसीसीआई को चाहिए कि वह अंशुल कंबोज जैसे खिलाड़ियों की विनम्रता को सराहे और दिग्वेश राठी जैसे युवाओं को संतुलन के महत्व का एहसास कराए।
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