लखीसराय/बिहार, 26 मई 2025 : वट सावित्री व्रत के पावन अवसर पर पर्यावरण भारती द्वारा लखीसराय के पिपरिया ग्राम स्थित चैती दुर्गा मंदिर परिसर में वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर देव वृक्ष बरगद सहित कटहल, बेल, नींबू और कदम्ब के पांच फलदार वृक्ष लगाए गए। इस पुनीत कार्य का नेतृत्व पर्यावरण प्रहरी प्रशांत कुमार यदुवंशी ने किया।
कार्यक्रम में उपस्थित पर्यावरण भारती के संस्थापक, पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के प्रांत संयोजक एवं अखिल भारतीय पेड़ उपक्रम टोली सदस्य श्री राम बिलास शाण्डिल्य ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग से बचाव और धरती माता की रक्षा हेतु हर व्यक्ति को वृक्षारोपण अभियान में भाग लेना चाहिए। वृक्षों से ही पर्यावरण संतुलन संभव है।
उन्होंने महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी के बचपन का एक प्रेरणादायक प्रसंग साझा किया। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति महोदया जब अपने पिता के साथ उड़ीसा के गाँव में थीं, तब उनके पूज्य पिताजी सूखे पेड़ को काटने से पहले उससे क्षमा माँगते थे। क्योंकि वह पेड़ कभी हरा-भरा था, फल-फूल व छाया देता था। उन्होंने आधुनिकता की चकाचौंध में वृक्षों की अंधाधुंध कटाई पर चिंता जताई और इसे जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारण बताया।
शाण्डिल्य जी ने वट सावित्री व्रत की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह व्रत ज्येष्ठ अमावस्या को मनाया जाता है। भारत की सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य हेतु इस व्रत को श्रद्धा से करती हैं। व्रत के दौरान वटवृक्ष की पूजा कर महिलाएं कच्चे धागे से परिक्रमा करती हैं और भगवान शिव से प्रार्थना करती हैं।
इतिहास का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस व्रत की शुरुआत राजा अश्वपति की पुत्री सावित्री द्वारा हुई थी, जिन्होंने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस प्राप्त किए थे। इसलिए यह व्रत नारी शक्ति, श्रद्धा और संकल्प का प्रतीक है।
शाण्डिल्य ने आग्रह किया कि वट सावित्री व्रत के पूजन हेतु बरगद का पौधारोपण सार्वजनिक स्थलों पर अवश्य करें, जिससे भविष्य में यह धार्मिक परंपरा और पर्यावरण दोनों सुरक्षित रह सकें।
इस अवसर पर आयोजित पौधारोपण अभियान में वार्ड सदस्या ऊषा देवी, रिंकू देवी, पूजा देवी, सुलेना देवी, ललन कुमार, राहुल कुमार, गोकर्ण कुमार, राजीव रंजन कुमार, रौशन कुमार, कैलाश यादव सहित दर्जनों पर्यावरण प्रेमी उपस्थित रहे।
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