बर्थडे स्पेशल: 'उड़न परी' पी.टी. उषा ने भारतीय एथलेटिक्स को दी थी नई 'उड़ान'

नई दिल्ली, 26 जून 2025। भारत की 'क्वीन ऑफ ट्रैक एंड फील्ड' और मौजूदा भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) की अध्यक्ष पी.टी. उषा का जन्म 27 जून 1964 को केरल के कुट्टाली गांव में हुआ था। देश की सबसे तेज़ महिला धाविका के रूप में पहचानी जाने वाली उषा न सिर्फ़ एथलेटिक्स की दुनिया की चमकदार पहचान बनीं, बल्कि उन्होंने भारत में महिला खेलों की दिशा ही बदल दी।

🏃‍♀️ बचपन में ही दिख गई थी उड़ान की झलक
पी.टी. उषा जब महज चौथी कक्षा में थीं, तभी उन्होंने स्कूल की रेस में अपने से तीन साल सीनियर छात्र को हराकर सबको चौंका दिया। उनकी रफ्तार ने स्कूल के शिक्षकों को हैरान कर दिया और यहीं से उनके एथलेटिक करियर की नींव पड़ी। केरल सरकार द्वारा स्थापित स्पोर्ट्स स्कूल के पहले बैच में उन्हें शामिल किया गया।

🌍 16 साल की उम्र में ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व
पी.टी. उषा ने स्टेट और नेशनल गेम्स में शानदार प्रदर्शन के बाद 1980 मॉस्को ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। लेकिन उनका असली जलवा 1984 लॉस एंजेलिस ओलंपिक में देखने को मिला, जहां वह 400 मीटर बाधा दौड़ के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट बनीं। महज 0.01 सेकंड से ब्रॉन्ज मेडल से चूकना उनके करियर का सबसे भावुक क्षण रहा।

🥇 एशियाड में चमकीं ‘उड़न परी’
1986 सियोल एशियाई खेलों में पी.टी. उषा ने भारत के लिए चार स्वर्ण पदक और एक रजत जीते। उन्होंने 200 मीटर, 400 मीटर, 400 मीटर बाधा दौड़ और 4x400 मीटर रिले में गोल्ड, जबकि 100 मीटर में सिल्वर जीता। यह उपलब्धि उन्हें भारत की महानतम एथलीटों में शामिल कर देती है।

🔁 संन्यास, वापसी और फिर संन्यास
1990 में संन्यास लेने के बाद, 1991 में विवाह के बाद उन्होंने ट्रैक पर वापसी की और 1994 एशियन गेम्स में 4x400 मीटर रिले में सिल्वर मेडल जीता। 1995 में घुटने की सर्जरी के कारण उन्हें फिर से ब्रेक लेना पड़ा, लेकिन 1998 एशियन चैंपियनशिप में वापसी करते हुए उन्होंने चार पदक अपने नाम किए।

फैंस को 2000 सिडनी ओलंपिक में उनकी भागीदारी की उम्मीद थी, लेकिन घुटनों की तकलीफ ने उनके करियर पर अंतिम विराम लगा दिया। अपने शानदार करियर में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 103 पदक जीते।

🏅 सम्मान और उपलब्धियां
अर्जुन पुरस्कार
पद्मश्री सम्मान
भारतीय ओलंपिक संघ की पहली महिला अध्यक्ष (2022) — निर्विरोध निर्वाचित

एक प्रेरणादायी सफर
पी.टी. उषा का जीवन देश की उन बेटियों के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों और चुनौतियों के बावजूद अपने जुनून के दम पर इतिहास रचने का सपना देखती हैं। भारत की 'उड़न परी' ने न सिर्फ़ देश को गौरवान्वित किया, बल्कि भारतीय महिला एथलेटिक्स को एक नई दिशा और पहचान दी।

उनके जन्मदिन के मौके पर देश उन्हें नमन करता है और उनके योगदान को सलाम। 🎂🇮🇳
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