रांची/झारखंड। झारखंड में सामने आए बहुचर्चित शराब घोटाले में बड़ा खुलासा हुआ है। रिमांड पर लिए गए रायपुर के कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया ने एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की पूछताछ में दावा किया है कि इस घोटाले का मास्टरमाइंड झारखंड के तत्कालीन उत्पाद सचिव और निलंबित IAS विनय कुमार चौबे थे। सिंघानिया के मुताबिक, पूरे घोटाले की योजना चौबे के नेतृत्व में बनी और इसे अंजाम तक पहुंचाया गया।
छत्तीसगढ़ मॉडल लागू करने की रची गई साजिश
पूछताछ के दौरान सिंघानिया ने बताया कि झारखंड में छत्तीसगढ़ के शराब मॉडल को लागू कराने की साजिश रची गई थी, जिसमें चौबे के साथ अरुण पति त्रिपाठी भी शामिल थे। त्रिपाठी को सीएसएमसीएल के माध्यम से बतौर सलाहकार नियुक्त किया गया था। इसके बाद एफएल-10 थोक लाइसेंस नीति लाई गई, जिसका उद्देश्य छत्तीसगढ़ की एजेंसियों को लाभ पहुंचाना था।
हर कार्टन पर वसूली और 50 करोड़ की घूस
सिंघानिया के अनुसार, झारखंड में सप्लाई की गई शराब के हर एक कार्टन पर 300 से 600 रुपये तक की अवैध वसूली की जाती थी। यह पैसा विभिन्न माध्यमों से विनय चौबे तक पहुंचाया गया। उन्होंने यह भी दावा किया कि इस पूरी साजिश से चौबे को 40 से 50 करोड़ रुपये की अवैध घूस मिली, जो त्रिपाठी के जरिए पहुंचाई गई।
प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए मुनाफे की मशीन
पूरे घोटाले में प्लेसमेंट एजेंसियों की भूमिका भी अहम रही। सिंघानिया से पूछताछ में यह सामने आया कि शराब दुकानों पर मैनपावर की सप्लाई में भी बड़ी उगाही की गई। दुकानें चलाने के लिए कथित एजेंसियों के माध्यम से चौबे के करीबी लोगों को नियुक्त किया गया और एमआरपी से अधिक दामों पर शराब बेचकर मोटी कमाई की गई। इस पैसे का एक बड़ा हिस्सा सीधे घूस के रूप में अधिकारियों को दिया गया।
टेंडर में भी की गई गड़बड़ियां
सिद्धार्थ सिंघानिया ने आरोप लगाया कि टेंडर शर्तों को जानबूझकर बदला गया ताकि एक विशेष सिंडिकेट को फायदा पहुंचाया जा सके। यह सब कुछ चौबे की सीधी निगरानी में हुआ।
ACB जुटा रही साक्ष्य, जांच में नया मोड़
बुधवार को हुई पूछताछ के दौरान ACB ने प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए उगाही, टेंडर में अनियमितता और पैसों के लेन-देन से जुड़े कई सवाल सिद्धार्थ सिंघानिया से पूछे। इससे पहले मार्शन इनोवेटिव के प्रतिनिधि नीरज कुमार सिंह ने रिमांड के दौरान सिंघानिया की भूमिका पर भी बयान दिया था।
अब जांच के घेरे में और बड़े नाम
एसीबी की जांच अब तेज़ हो गई है और उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में और कई बड़े नामों का पर्दाफाश हो सकता है। सिंघानिया का बयान इस घोटाले में जांच एजेंसियों के लिए टर्निंग प्वाइंट बनकर उभरा है।
शराब कारोबार के जरिए करोड़ों की लूट और सत्ता के संरक्षण में चल रहे सिंडिकेट की परतें अब धीरे-धीरे खुलती जा रही हैं। जांच एजेंसियों की निगाह अब घोटाले के दूसरे चेहरों की ओर टिकी है।
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