वाराणसी/उत्तर प्रदेश, 25 जून 2025, बुधवार : काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के वनस्पति विज्ञान विभाग ने शिक्षण, अनुसंधान और संरक्षण के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ते हुए अपने परिसर में बैकयार्ड गार्डन और ग्लास हाउस सुविधा की शुरुआत की है। इस अत्याधुनिक सुविधा का उद्घाटन बीते 23 जून को विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रो. एस.के. उपाध्याय ने किया। यह पहल वनस्पति शिक्षा को व्यवहारिक और अनुसंधान को आधुनिक आयाम देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
उद्घाटन के अवसर पर संकाय प्रमुख ने कहा कि यह नवाचार विभाग में गुणवत्तापरक शिक्षा, अनुसंधान और छात्रों की सृजनात्मक क्षमता को प्रोत्साहित करेगा। बैकयार्ड गार्डन और ग्लास हाउस न केवल छात्रों के लिए एक जीवंत प्रयोगशाला के रूप में कार्य करेगा, बल्कि जैव विविधता के संरक्षण और जन-जागरूकता में भी महती भूमिका निभाएगा। इसके अंतर्गत एक विशेष क्रिप्टोगैमिक गैलरी भी विकसित की जा रही है, जिसमें शैवाल, कवक, ब्रायोफाइट्स और टेरिडोफाइट्स जैसे अपुष्पीय पौधों का अध्ययन और प्रदर्शन किया जाएगा।
गौरतलब है कि बीएचयू का वनस्पति विज्ञान विभाग देश के प्रतिष्ठित विभागों में से एक है जिसकी स्थापना 1919 में प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रोफेसर बीरबल साहनी के नेतृत्व में हुई थी। विभाग की समृद्ध अकादमिक विरासत में प्रो. वाई. भारद्वाज, प्रो. आर. मिश्र और प्रो. आर.एन. सिंह जैसे विख्यात वैज्ञानिकों का उल्लेखनीय योगदान रहा है। 1927 में डॉ. बी.एन. सिंह को डी.एससी. की उपाधि प्रदान किया जाना विभाग की शोध परंपरा की ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जाती है।
विभाग की एक अन्य महत्वपूर्ण धरोहर राष्ट्रीय हर्बेरियम (Index Herbariorum Code: BAN) है, जिसमें हजारों संरक्षित पौधों के नमूने संकलित हैं। हाल ही में इसका नवीनीकरण कर इसे डिजिटाइज किया जा रहा है, ताकि यह अंतरराष्ट्रीय शोध समुदाय के लिए ऑनलाइन सुलभ हो सके। यह हर्बेरियम न केवल शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी है, बल्कि यह भारत की वनस्पति विरासत को सहेजने का सशक्त माध्यम भी है।
वनस्पति विज्ञान विभाग की यह पहल न केवल अकादमिक उत्कृष्टता को सुदृढ़ करेगी, बल्कि भारत के वनस्पति शोध और संरक्षण प्रयासों को वैश्विक मंच पर नई ऊंचाई भी प्रदान करेगी।
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