वाराणसी/उत्तर प्रदेश। धर्मनगरी काशी के पावन मणिकर्णिका तीर्थ क्षेत्र में स्थित ब्रह्मांड शक्ति प्रदात्री माता मणिकर्णिका मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा विधिपूर्वक सम्पन्न हुई। यह आयोजन महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित काशीखण्ड में वर्णित माता के स्वरूप और महाविष्णु एवं आदि गुरु शंकराचार्य की परिकल्पना के अनुसार सम्पन्न किया गया।
विशेष सिद्धयोग नक्षत्र में सम्पन्न इस अनुष्ठान के अंतर्गत माता की दिव्य मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा समारोह सिंधिया घाट स्थित आत्माविरेश्वर मंदिर के समीप भव्य पूजन-विधान के साथ किया गया। यह अनुष्ठान तपस्वी दंडी संन्यासी श्रीकृष्णनन्देन्द्र सरस्वती "नारायण स्वामी" के संकल्प का पूर्ण रूप था, जिन्होंने चैत्र नवरात्र की अष्टमी को ब्रह्मलीन होने की घोषणा करते हुए मंदिर निर्माण एवं प्राण प्रतिष्ठा की समस्त व्यवस्था सुनिश्चित की थी।
माता की प्राण प्रतिष्ठा चतुर्वेद ज्ञाता वैदिक ब्राह्मणों द्वारा वैदिक विधियों के अनुरूप सम्पन्न हुई। अनुष्ठान में देशभर से आए विद्वानों द्वारा उच्चकोटि के मंत्रोच्चारण और शास्त्रोक्त पूजन से वातावरण भक्तिमय हो उठा। आयोजन के दौरान माता को 56 भोग अर्पित किए गए, जिससे भक्तगण भावविभोर हो उठे।
इस त्रिदिवसीय महाअनुष्ठान का नेतृत्व राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य आचार्य ब्रह्मचारी सम्पूर्णानंद दिव्य चेतन "जटागुरु" महाराज ने किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा, “काशीखण्ड के अनुसार माता मणिकर्णिका का जो स्वरूप वर्णित है, वैसी मूर्ति और मंदिर संपूर्ण विश्व में कहीं नहीं है। यह मंदिर केवल काशी ही नहीं, अपितु समस्त ब्रह्मांड के कल्याण का कारण बनेगा। पुराणों में वर्णन है कि समस्त तीर्थों और देवताओं को शक्ति माता मणिकर्णिका से ही प्राप्त होती है। महादेव भी काशी में सायुज्य मोक्ष का वरदान माता के मध्यान्ह स्नान से प्राप्त शक्ति के आधार पर प्रदान करते हैं।”
कार्यक्रम की अध्यक्षता सुब्रमण्यम ने की तथा संचालन नीरज सिंह ने किया। पंडित अनुराग सपत्नीक मुख्य यजमान रहे।
इस दिव्य आयोजन में विनय शंकर राय "मुन्ना", किशन रस्तोगी, राजू गुरु, विश्वनाथ ब्रह्मचारी, कल्याण सुंदरम, कलावती देवी, भास्कर जी, दिलीप मिश्रा, डब्लू जायसवाल, पप्पू शुक्ला, प्रवीन उपाध्याय, विक्की, शेखर, लाले, आशीष, ऋषि राय समेत अनेक श्रद्धालु, विद्वान ब्राह्मण और भक्तजन उपस्थित रहे।
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