Lucknow: BBAU में Ph.D. स्कॉलर ने गाइड प्रोफेसर पर लगाया यौन शोषण का गंभीर आरोप

लखनऊ/उत्तर प्रदेश। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (बीबीएयू), लखनऊ से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां पर्यावरण माइक्रोबायोलॉजी विभाग के पीएचडी स्कॉलर ने अपने शोध निर्देशक (गाइड) प्रोफेसर डॉ. राजेश कुमार पर लगातार यौन शोषण का आरोप लगाया है। उन्होंने कुलपति को एक गोपनीय पत्र लिखकर मामले में तुरंत कार्रवाई की मांग की है और न्याय न मिलने की स्थिति में आत्महत्या करने की चेतावनी दी है।

स्कॉलर द्वारा 2 जून 2025 को लिखे गए इस पत्र में कहा गया है कि पिछले एक वर्ष से अधिक समय से जब भी वे अपने शोधकार्य को लेकर प्रोफेसर राजेश कुमार के कमरे में जाते थे, तो वे उन्हें पोर्न वीडियो दिखाते थे और कई बार अश्लील हरकतें करने के लिए मजबूर करते थे। पत्र में उन्होंने लिखा है कि प्रोफेसर ने कई बार उन्हें जबरन आपत्तिजनक स्थिति में आने को मजबूर किया और हाल ही में यहां तक कह दिया कि यदि वे उनकी यौन इच्छाओं को पूरा करेंगे तो वे शोध कार्य में मदद करेंगे, डीआरसी करवाएंगे और फेलोशिप की प्रक्रिया आगे बढ़ाएंगे।

पीड़ित स्कॉलर ने यह भी आरोप लगाया है कि जब उन्होंने इस उत्पीड़न की शिकायत करने की बात कही, तो प्रोफेसर ने उन्हें पीएचडी से टर्मिनेट कर देने की धमकी दी। उन्होंने लिखा है कि विश्वविद्यालय प्रशासन भी निष्पक्ष कार्रवाई नहीं कर रहा है, क्योंकि रजिस्ट्रार प्रोफेसर राजेश कुमार के करीबी हैं और दोनों एक साथ पार्टियां करते हैं। पीड़ित ने यह भी उल्लेख किया है कि वह अनुसूचित जाति (SC) वर्ग से आते हैं, इसलिए उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।

पीड़ित ने कुलपति से अनुरोध किया है कि उनकी शिकायत को विश्वविद्यालय की आंतरिक शिकायत समिति (ICC) में दर्ज किया जाए और पुलिस में एफआईआर कराई जाए। साथ ही, प्रोफेसर राजेश कुमार को विभागाध्यक्ष और डीन पद से हटाकर स्वतंत्र जांच कराई जाए, ताकि निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके। उन्होंने यह भी लिखा है कि प्रोफेसर अन्य विद्यार्थियों और सहयोगियों को भी धमका रहे हैं जो उनका साथ देना चाहते हैं।

विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस मामले पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन छात्र समुदाय में इस घटना को लेकर आक्रोश है और जल्द न्याय की मांग की जा रही है। यह मामला उच्च शिक्षा संस्थानों में यौन उत्पीड़न की गंभीरता को उजागर करता है और अब सबकी नजर विश्वविद्यालय प्रशासन और पुलिस की अगली कार्रवाई पर टिकी है।
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