पटना/बिहार | 24 जुलाई 2025, गुरुवार : पटना विश्वविद्यालय परिसर एक बार फिर उबाल पर है। विश्वविद्यालय में कार्यरत 32 अतिथि शिक्षकों (Guest Faculty) को बिना नवीनीकरण हटाए जाने के विरोध में आज से अनिश्चितकालीन आमरण अनशन की शुरुआत हो गई है। यह आंदोलन शिक्षकों के अधिकार और छात्रों के भविष्य दोनों से जुड़ा हुआ है, जिसे लेकर विश्वविद्यालय छात्र संघ की महासचिव सलोनी राज ने खुला समर्थन दिया है।
सलोनी राज ने इसे केवल शिक्षकों का आंदोलन नहीं, बल्कि हर छात्र-छात्रा के भविष्य पर सीधा हमला बताया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की अधिकांश कक्षाएं इन ही शिक्षकों के भरोसे संचालित होती हैं, और आज वही शिक्षक अपमानित होकर भूख हड़ताल पर बैठे हैं, जबकि प्रशासन चुप्पी साधे हुए है।
छात्र संघ महासचिव सलोनी राज बोलीं, "यह हमारे शिक्षकों का नहीं, बल्कि हमारे पूरे छात्र समुदाय का सवाल है। यदि हमारे शिक्षकों को न्याय नहीं मिला, तो हम छात्र भी आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। हम किसी भी हद तक जाकर अपने शिक्षकों के सम्मान और छात्रों के भविष्य की रक्षा करेंगे।"
प्रशासन पर उठे सवाल
विगत 18 जून 2025 को जारी निर्देश में स्पष्ट उल्लेख था कि छात्र हित में अतिथि शिक्षकों का नवीनीकरण किया जाना चाहिए। इसके बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस निर्देश की सरेआम अनदेखी की, जिसे लेकर शिक्षकों में भारी आक्रोश है।
छात्र संघ महासचिव का आरोप है कि वर्षों की सेवा देने वाले शिक्षकों को अचानक हटाना शोषण की पराकाष्ठा है और यह विश्वविद्यालय की शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करने की साजिश प्रतीत होती है।
मुख्य माँगें :
1. सभी 32 अतिथि शिक्षकों का अविलंब नवीनीकरण किया जाए।
2. विश्वविद्यालय की शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद होने से बचाया जाए।
3. कुलपति को तत्काल इस मुद्दे पर संवेदनशीलता दिखाते हुए हस्तक्षेप करना चाहिए।
आगे क्या?
छात्र संघ महासचिव सलोनी राज ने स्पष्ट कहा है कि यदि प्रशासन ने अतिथि शिक्षकों की मांगों को नहीं माना, तो छात्र भी सड़क पर उतरेंगे और बड़ा जन आंदोलन खड़ा किया जाएगा।
अभी तक कुलपति की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। पटना विश्वविद्यालय परिसर में हालात संवेदनशील बने हुए हैं, और यह देखना बाकी है कि प्रशासन इस संकट का समाधान कैसे करता है।
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