जमुई/बिहार। नेचर विलेज के संस्थापक एवं सामाजिक कार्यकर्ता निर्भय प्रताप सिंह की “राष्ट्र गुणगान यात्रा” लगातार जन-जन में राष्ट्रभावना और जागरूकता का संदेश फैला रही है। मात्र 18 दिनों के भीतर 100 से अधिक गांवों में चौपाल आयोजित कर उन्होंने ग्रामीणों से प्रत्यक्ष संवाद साधा और राष्ट्रीय चिंतन को नई दिशा देने का आह्वान किया।
शनिवार को यात्रा के 18वें दिन निर्भय प्रताप सिंह जिले के सदर प्रखंड के मनियड्डा, काकन सहित आधा दर्जन से अधिक गांवों में पहुँचे। यहां उन्होंने चौपाल लगाकर ग्रामीणों से न केवल स्थानीय समस्याओं पर विचार-विमर्श किया, बल्कि राष्ट्र स्तर की चुनौतियों पर भी गंभीर चर्चा की।
चौपाल में बोलते हुए निर्भय प्रताप सिंह ने कहा, “अगर हम अपने बच्चों का भविष्य उज्ज्वल देखना चाहते हैं तो हमें राजनीति पर गंभीर चर्चा करनी होगी। अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र के नेताओं के बीते पाँच वर्षों के कार्यों की समीक्षा करें और सोचें कि क्या वास्तव में उन्होंने जनता के लिए काम किया है।”
उन्होंने देश की स्वतंत्रता और स्वाभिमान के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले वीर योद्धाओं और वीरांगनाओं को नमन किया। इस क्रम में उन्होंने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, अहिल्याबाई होलकर और छत्रपति शिवाजी महाराज के साहस और विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि इनके त्याग को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
निर्भय प्रताप ने कहा, “अगर हम उनके बलिदान की कीमत चुकाना चाहते हैं तो हमें ऐसा राष्ट्र बनाना होगा जहाँ न जात-पात का भेदभाव हो, न ऊँच-नीच की दीवारें। यही उनके सपनों का भारत है। जब हम इन सपनों को साकार करेंगे, तभी असली स्वाधीनता का अर्थ परिलक्षित होगा।”
उन्होंने ग्रामीणों को स्वदेशी अपनाने का भी संदेश दिया और कहा कि विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार और स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग से ही देश की आर्थिक मजबूती सुनिश्चित होगी। निर्भय प्रताप ने जोर देकर कहा कि “एक ही व्यक्ति या परिवार का बार-बार राजनीति में आना उचित नहीं है। ऐसा होने पर देश का वास्तविक आर्थिक विकास कभी संभव नहीं होगा।”
चौपाल के दौरान उन्होंने ग्रामीणों की समस्याएं ध्यानपूर्वक सुनीं और उनके समाधान के लिए राजनीतिक सोच बदलने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हर नागरिक को अपने क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाते हुए देश के विकास में भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।
राष्ट्र गुणगान यात्रा का उद्देश्य केवल देशभक्ति का संदेश देना नहीं, बल्कि ग्रामीण समाज को सशक्त, स्वावलंबी और राजनीतिक रूप से जागरूक बनाना है, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक समानता और विकास पर आधारित भारत का निर्माण किया जा सके।
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