जमुई/बिहार। शिक्षक दिवस के अवसर पर ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल के प्रांगण में गुरुवार को एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विद्यालय के चारों शाखाओं जमुई, मलयपुर, जोगा झिंगोय और चकाई से आए शिक्षकों को विशेष सम्मान प्रदान किया गया। इस अवसर पर विद्यालय परिवार ने पूरे उत्साह और गरिमा के साथ डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती मनाई।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि जूडिशियल मजिस्ट्रेट सह सिविल जज एहसास राशिद और विद्यालय के निदेशक डॉ. मनोज कुमार सिन्हा द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया गया। इसके बाद उपस्थित सभी गणमान्य लोगों ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति, महान दार्शनिक और आदर्श शिक्षक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया।
मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ. राधाकृष्णन शिक्षा जगत के ऐसे महानायक थे, जिन्होंने पूरी दुनिया में भारतीय शिक्षा और दर्शन को नई पहचान दी। उन्होंने कहा कि शिक्षक दिवस मनाने का मूल उद्देश्य समाज में गुरुजनों की अमूल्य भूमिका को स्मरण करना और उनके आदर्शों से प्रेरणा लेना है। वहीं, विद्यालय निदेशक डॉ. मनोज कुमार सिन्हा ने कहा कि गुरु हर युग में सर्वोच्च स्थान रखते हैं। वे सिर्फ ज्ञान ही नहीं देते, बल्कि बच्चों के व्यक्तित्व और चरित्र निर्माण में भी अहम भूमिका निभाते हैं।
समारोह में 150 से अधिक शिक्षकों को स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान विद्यालय की सचिव कुसुम सिन्हा ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र निर्माण के सच्चे शिल्पकार होते हैं। आज के दौर में जब भौतिकवाद बढ़ रहा है, तब बच्चों में चरित्र, संस्कार और देशभक्ति का बीजारोपण करना सबसे बड़ी चुनौती है और इसे केवल शिक्षक ही संभव कर सकते हैं।
कार्यक्रम के दौरान विद्यालय के बच्चों ने मनमोहक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। रंगारंग नृत्य, गीत और नाट्य प्रस्तुति ने पूरे वातावरण को उल्लास से भर दिया। बच्चों की प्रस्तुतियों ने वहां मौजूद सभी लोगों का मन जीत लिया।
समारोह की सफलता में प्राचार्य ऋतुराज सिन्हा, मलयपुर शाखा के प्रिंसिपल अनूप सिंह, एडमिनिस्ट्रेटर नीरज सिन्हा, उप प्राचार्य शिवांगी शरण, पुष्पा क्षेत्री, आवासना राय, प्रवीणा राय, रितिशा करकी, अश्विनी कुमार और यश राज का अहम योगदान रहा। कार्यक्रम का मंच संचालन प्रेमलता कुमारी ने किया।
शिक्षक दिवस का यह उत्सव शिक्षकों और विद्यार्थियों के बीच गुरु-शिष्य परंपरा के महत्व को और अधिक मजबूत करता हुआ उल्लास एवं गरिमा के साथ संपन्न हुआ। समारोह में उपस्थित जनसमूह ने एक स्वर में शिक्षकों के योगदान को नमन किया।
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