आज फिर आरामदायक कुर्सी पर बैठे सोच रहा हूं, क्या ही लिखूं पर मेरा यकीन कीजिए मेरे दिमाग में आज कोई कहानी नहीं चल रही है, मैंने सामने की दराज से अपनी एक डायरी निकाल कर पलटने लगता हूं, तभी आठवें पन्ने पर उंगलियों रुक जाती है।जाहिर है मेरी नजर ऊपर चली जाती है लिखा है प्रतियोगिता। साथ- ही- साथ मैं आपको बताता चलूं की माधुरी और कनक के पिता मयंक तथा कनक के दोस्त अरविंद इस कहानी के किरदार हैं...।
मयंक जी को कितनों के घर आने जाने के बाद एक ठीक-ठाक व्यापारी लड़का उन्हें समझ आया था, अपनी लाडली बेटी माधुरी के लिए, यह तो माधुरी की किस्मत है कि वह दिखने में ठीक लगती है। इसलिए तो लड़के वालों ने इस रिश्ते को इनकार नहीं किया। मयंक के घर वाले तथा उनके संगे संबंधियों सभी खुश थे, होंगे भी क्यों ना आखिर मयंक जी इतने कम पैसे में इतना अच्छा रिश्ता और कहां तलाशते अपनी बेटी के लिए। लेकिन कहते हैं की खुशियों के दिन जल्दी बीत जाते हैं, मुझे भी जानकर दुख हुआ कि अभी कनक की बहन माधुरी की शादी लगे करीब दो माह ही हुए थे, की कनक के पिता मयंक जी को लकवा मार दिया।
"इधर तब तक शादी की कुछ तैयारी जैसे निमंत्रण पत्र का छपवाना, सजावट, मेनू तैयार करना, कपड़े खरीदना वगैरा हो चुका था। मयंक जी को लकवा मार गया था, इसलिए उनसे अधिक काम नहीं हो पता था अब, देखिए ना यह आफत अभी ही आनी थी।
सुबह निमंत्रण पत्र लेकर घर से निकलते ही कनक की मां ने कहा,- "नवादा में नाश्ता कर लेना, चू मैं तो बताना ही भूल गया कि यह आखिरी निमंत्रण पत्र था, जो मौसी के घर देना है। वैसे तो सारे निमंत्रण पत्र कनक ने ही तो जाकर दिया था रिश्तेदार वालों के यहां।वो नवादा मे उतरकर जोड़ -घटाव करने लगा जो बेरोजगार होते हैं वह सच में पैसा बचाने की कोशिश करना सीख जाते हैं। नाश्ते के 40 रुपया बच जाएंगे, यहां से घंटे भर में ही रजौली मौसी के यहां पहुंच जाऊंगा आते वक्त वो भी 100 रुपया दे ही देंगे..." कनक के दिमाग में यही चल रहा था, वैसे तो कनक ने अनगिनत परीक्षाएं और इंटरव्यू दिया था, लेकिन हमारी सरकार निकम्मी है जैसे उसे लगता है। सही क्या है आप भी जानते हैं।
तर्क लेकर, मन में विचार लेकर गाड़ी के इंतजार में खड़ा है। वह बस स्टैंड से थोड़ा आगे बढ़ गया था, तभी पीछे से किसी ने आवाज दिया, गाड़ी रुकी गाड़ी में उसका दोस्त अरविंद था। वो भाई कहां जा रहे हो।" अरविंद बोला, "काफी समय बाद मिला है कनक अभी कहां रहते हो?" "कनक ने अपनी तकलीफ छुपाते हुए कहा, "घर पर ही। अरविंद को देखकर ऐसा लगता है कि वह यही काम करता है, पर तभी याद आया कि गांव की कुछ प्रॉपर्टी बेचकर घर वाले ने उसके लिए कपड़े की दुकान खुलवाई थी।
खैर कनक को इस बात की जलन नहीं थी, वो तो बस अपनी "बेरोजगारी" से असहज हो गया था। वैसे तो उनके आगे कुछ ना हो तो किसी से मिलने पर शर्मिंदगी की दीवार खड़ी हो ही जाती है। कनक ने उससे पीछा छुड़ाते हुए कहा, "मैं जल्दी में हूं बाय... यह कह कर आगे बढ़ गया। पीछे से अरविंद की आवाज आई जिसमें वह बोल रहा था आ ना मै तुम्हें रजौली छोड़ आऊंगा। कनक पीछे मुड़कर चलते हुए कहा, "आगे टेम्पो से मैं चला जाऊंगा यह बोलते हुए तेजी से टेंपो में जाकर बैठ गया।"
,,अच्छा हुआ कि उसके गाड़ी में नहीं आया वह पूछ लेता की क्या कर रहा है आजकल, क्या जवाब देता मैं उसे, कि नौकरी की तैयारी। ना बाबा ना, लोग तो सीधा यही मतलब निकालते हैं कि वो बेरोजगार है! भैया टेंपो आगे नहीं जाएगी अब उतारिए, हां कनक को तो बस अरविंद की नजरों से ओझल होना था। और इस बार रजौली के लिए टेंपो में बैठ गया। और फिर सवालों में खो गया, कितनी अच्छी चमचमाती बिल्कुल लग्जरी कार थी, उसको कहते हैं किस्मत जो मेरे पास नहीं है। मुझे अच्छी तरह याद है उसने 12वीं में 42% अंक लाकर परीक्षा पास कि थी। लेकिन आज देखो मैं हूं, एक अरविंद कितना बड़ा आदमी बन गया है कुछ नहीं होता पढ़ाई- लिखाई से सब बेकार की बातें हैं यही सब सोचने लगा, कब पहुंचा उसे पता ही नहीं चला। सच तो यह है कि जब हम किसी सोच में डूब जाते हैं तो समय जल्दी पूरा हो जाता है।
कनक टेंपो स्टैंड में उतर गया और चल पड़ा मौसी के घर की ओर। उसकी नजर अचानक जूते पर गई, थोड़ा ज्यादा दबाव पड़ने के कारण बाएं जूते की सिलाई टूट गई। और कनक फिर उदास हो गया। खैर, हालात चाहे जो भी रहा हो पैसे के लिए कोई गलत कार्य नहीं किया अब तक मैंने। उदासी और बेबसी से कनक आज पूरी तरह गिर चुका था। पापा ठीक थे तो दूसरे के यहां ही,सेल्समेन का काम तो करते थे। कनक आंखों में सैलाब लिए खुद को रोने से रोक लेता है। और अपने आप को विश्वास दिलाता है कि एक दिन सब ठीक हो जाएगा। मेरी बेरोजगारी भी दूर होगी और पिताजी की बीमारी भी खत्म हो जाएगी।
अब कनक पहुंच गया था। करीब एक घंटा रुकने के बाद मौसा जी के हाथ में निमंत्रण पत्र देते हुए, "वहां के सभी सदस्यों को अपनी बहन के विवाह में शामिल होने के लिए आग्रह किया। फिर कनक घर की ओर रवाना हो गया। उसे अपनी बहन माधुरी की शादी के लिए और व्यवस्थाएं अब खुद जल्द ही करनी होगी।।
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