जमुई/बिहार। लोक आस्था और सूर्य उपासना का महापर्व छठ मंगलवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हो गया। जमुई जिले के विभिन्न प्रखंडों और गांवों के छठ घाटों पर अहले सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। व्रतियों ने उदीयमान भगवान भास्कर को दूसरा अर्घ्य अर्पित कर चार दिवसीय पर्व का समापन किया।
प्रातःकालीन बेला में नदी, तालाब और जलाशयों के तटों पर व्रती माताएं और महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में दौर, सुप और डाला सजाए भगवान सूर्य की आराधना में लीन रहीं। हर ओर "छठी मईया" के भजन और लोकगीतों की गूंज से पूरा वातावरण भक्तिमय बना रहा। श्रद्धालु महिलाएं साष्टांग दंडवत प्रणाम के साथ घाटों तक की यात्रा करती दिखीं। यह अद्भुत दृश्य आस्था और अनुशासन की एक मिसाल पेश कर रहा था।
शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक सड़कों और घाटों को रंगीन लाइटों और सजावट से सजाया गया था। विशेषकर जमुई, गिद्धौर, बरहट, सोनो, चकाई, खैरा, झाझा और लक्ष्मीपुर प्रखंडों के प्रमुख घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखते ही बन रही थी। जगह-जगह स्वयंसेवकों और सामाजिक संगठनों की ओर से श्रद्धालुओं के लिए पेयजल, प्रसाद और सुरक्षा की व्यवस्था की गई थी।
सुबह की पहली किरण के साथ जब भगवान भास्कर क्षितिज पर प्रकट हुए, तो श्रद्धालु व्रतियों ने जल में खड़े होकर अर्घ्य अर्पित किया। इस दौरान पूरा माहौल ‘छठ मईया के जयकारों’ से गूंज उठा। कई जगह आतिशबाजी भी की गई, जिससे घाटों का दृश्य बेहद मनमोहक बन गया।
हालांकि, कुछ स्थानों पर अत्यधिक पटाखों के कारण वातावरण में हल्का धुआं और कोहरे जैसा दृश्य देखा गया, जिससे वायु प्रदूषण की स्थिति भी उत्पन्न हुई। इसके बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह और श्रद्धा कम नहीं हुई।
छठ व्रतियों ने बताया कि यह पर्व केवल पूजा-अर्चना नहीं, बल्कि प्रकृति, जल, और सूर्य के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। सूर्य को अर्घ्य देने के साथ लोगों ने अपने परिवार, समाज और राष्ट्र की सुख-समृद्धि की कामना की। छठ घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहा। पुलिस बल और प्रशासनिक अधिकारी देर रात तक डटे रहे।
जिलेभर में संपन्न हुए इस महान पर्व ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि छठ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि लोकआस्था, अनुशासन, और एकता का पर्व है, जो समाज को जोड़ने का कार्य करता है।
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