वंदे मातरम के 150 वर्ष: के.के.एम कॉलेज जमुई में गूंजा भारत जागरण का प्रथम महामंत्र

जमुई/बिहार, 7 नवंबर 2025, शुक्रवार। राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के निर्देश पर शुक्रवार को के.के.एम. कॉलेज, जमुई में वंदे मातरम गायन के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक विशेष आयोजन हुआ। डॉ. अंबेडकर छात्रावास के सभाकक्ष में आयोजित इस कार्यक्रम में कॉलेज की प्राचार्या डॉ. (प्रो.) कंचन गुप्ता की अध्यक्षता में शिक्षकों, कर्मियों और विद्यार्थियों ने सामूहिक रूप से “वंदे मातरम” का गायन किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. कंचन गुप्ता ने कहा — “वंदे मातरम भारत जागरण का प्रथम महामंत्र है, जिसने गुलाम भारत को आत्मगौरव का बोध कराया। यह गीत केवल शब्दों का मेल नहीं, बल्कि राष्ट्रधर्म की आराधना है। मातृभूमि का वंदन करना प्रत्येक भारतीय का परम कर्तव्य है।”

वहीं स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. गौरी शंकर पासवान ने कहा कि “वंदे मातरम भारत की आत्मा का अमर घोष है, यह देशप्रेम, संस्कृति और समर्पण का प्रतीक है। जब तक भारत रहेगा, तब तक वंदे मातरम भी अमर रहेगा।” उन्होंने कहा कि यह गीत हमें यह सिखाता है कि राष्ट्र पहले है, स्वार्थ बाद में।

इस अवसर पर रवीश कुमार सिंह ने कहा कि वंदे मातरम एकता और देशभक्ति का अमर पाठ सिखाता है। जब तक भारत की मिट्टी में जीवन है, तब तक इसकी गूंज बनी रहेगी।

कार्यक्रम में डॉ. मनोज कुमार, प्रो. सरदार राम, डॉ. अनिंदो सुंदर पोले, डॉ. सुदीप्ता मोंडल, डॉ. रश्मि, डॉ. लिसा, डॉ. कैलाश पंडित, डॉ. अजीत भारती, डॉ. दीपमाला, डॉ. सत्या शुभांगी सहित प्रधान लिपिक कृपाल सिंह, सुशील कुमार, रामचरित्र मानस समेत बड़ी संख्या में शिक्षक, कर्मचारी और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

सभी ने बताया कि वंदे मातरम गीत को 1875 में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने लिखा था और 1896 में रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे स्वर देकर अमर बना दिया।
सरकार द्वारा इस गीत की 150वीं वर्षगांठ पर एक वर्ष तक कार्यक्रम आयोजित करने के निर्णय का उपस्थित जनों ने स्वागत किया।
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