डीयू छात्रा चित्रा के समर्थन में उतरी सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया), पुरस्कृत करने के लिये पीएम को लिखा पत्र

पटना/बिहार (Patna/Bihar), 14 दिसम्बर 2025, रविवार : डीयू छात्रा के वायरल वीडियो मामले में अब एक नया मोड़ आ गया है। सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के बिहार प्रदेश अध्यक्ष धनंजय कुमार सिन्हा ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर चित्रा को उसके साहस के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार देने की मांग कर दी है। 

विदित हो कि इन दिनों डीयू छात्रा चित्रा के कुछ वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं जिसमें वह अपने प्रोफेसर्स एवं विभागाध्यक्ष पर इंटरनल मार्क्स के बहाने प्रताड़ित करने का आरोप लगा रही है। 

उक्त संदर्भ में प्रधानमंत्री को पत्र लिखते हुए सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के बिहार प्रदेश अध्यक्ष धनंजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि यह सिर्फ दिल्ली विश्वविद्यालय की एक घटना मात्र नहीं है, बल्कि ऐसी घटनाएँ कई दशकों से अलग-अलग विश्वविद्यालयों में होती आ रही हैं। इंटरनल मार्क्स की आड़ में स्नातक एवं स्नातकोत्तर के छात्राओं के साथ प्रोफेसर्स द्वारा इस प्रकार के प्रयास आम हो गये हैं। साथ ही, रिसर्च स्कॉलर्स के साथ उनके प्रोफेसर (गाइड) के द्वारा भी यह एक सामान्य परिचलन सा बन गया है। विश्वविद्यालयों में छात्र-छात्राएं चर्चा करते रहते हैं कि पीएचडी पूरा करवाने के लिये कई प्रोफेसर्स अपने रिसर्च स्कॉलर के साथ इस प्रकार के गलत प्रयास करते हैं अन्यथा तरह-तरह के बहाने से छात्राओं के पीएचडी अवार्ड को बाधित करते हैं। 

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) ने इस संदर्भ में दो प्रमुख मांगें की है : 
  1. दशकों से चली आ रही इस गंभीर समस्या को सार्वजनिक तौर पर उठाने का साहस दिखाने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा चित्रा को केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाये। 
  2. साथ ही, इस प्रकार की समस्याओं के स्थायी निदान हेतु सभी सरकारी एवं निजी विश्वविद्यालयों में, जहाँ इंटरनल मार्क्स / समस्त मार्क्स वहीं के प्रोफेसर्स के अधीन होते हैं एवं जहाँ-जहाँ पीएचडी कराये जा रहे हैं, वहाँ-वहाँ ऐसे मामलों की देख-रेख, जाँच एवं त्वरित कार्रवाई हेतु एक स्थानीय सशक्त समिति का गठन किया जाए जिसमें स्थानीय छात्राओं के अभिभावकों, विभिन्न स्तर के स्थानीय महिला जनप्रतिनिधियों एवं स्थानीय समाजसेवी महिलाओं को शामिल किया जाये। इस सशक्त समिति को विश्वविद्यालय के अंदर कार्यालय भी उपलब्ध कराया जाए जहाँ छात्राएँ अपनी ऐसी शिकायतों बेधड़क दर्ज करा पाएँ।
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