नई दिल्ली (New Delhi), देसी खबर (Desi Khabar), 18 फरवरी 2025, मंगलवार : दिल्ली के रामलीला मैदान का इतिहास बहुत पुराना है। आज भले ही यह एक मैदान है, लेकिन कई दशक पहले वहां तालाब हुआ करता था। रामलीला मैदान का इतिहास काफी समृद्ध और विविधताओं से भरा है। तालाब जब सूख गया तो इसे पाट कर समतल मैदान बना दिया गया। इसके बाद यहां रामलीला का मंचन भी शुरू हो गया।
दिल्ली की सत्ता में बीजेपी 27 साल के बाद लौटी है, जिसका गवाह रामलीला मैदान बनने जा रहा है। बीजेपी ने दिल्ली सरकार के शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन रामलीला मैदान में करने जा रही है, जहां से अरविंद केजरीवाल ने राजनीतिक पारी का आगाज किया था। दिल्ली के बीचो-बीच करीब 12 एकड़ में फैला रामलीला मैदान कई राजनीतिक और सामाजिक आयोजनों का गवाह रहा है, इसलिए बीजेपी नई सरकार की ताजपोशी के लिए रामलीला मैदान का चयन किसी को भी हैरान नहीं कर रहा है।
दिल्ली के दिल में स्थित जो रामलीला मैदान है, उसकी अपनी एक कहानी है। रामलीलाओं के आयोजन के चलते इस मैदान का नाम रामलीला मैदान पड़ा। रामलीला मैदान का इतिहास काफी समृद्ध और विविधताओं से भरा है। सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन की गवाही बना रामलीला मैदान, जहां से उठी आवाज ने सरकारें बनी और टूटी। कई सरकार के गठन की गवाह रामलीला मैदान रहा है।
• दिल्ली का तालाब कैसे बना रामलीला मैदान?
रामलीला मैदान आज भले ही सपाट जमीन हो, लेकिन एक समय यहां तालाब हुआ करता था। तालाब रहते हुए दिल्ली वासियों की पहले प्यास बुझाई और जब समतल होकर खेत में तब्दील हुआ तो दिल्ली वासियों का पेट भरा। दिल्ली के इंद्रपस्थ गांव में यह पूरा इलाका आता है, जहां करीब 10 एकड़ में तालाब हुआ करता था। तालाब को रामलीलाओं के आयोजन के लिए पाट कर समतल कर दिया गया। इस तरह 1850 में मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर ने रामलीला मंचन शुरू कराया, जिसके बाद से लगातार रामलीला का आयोजन हो रहा है।
हालांकि, अंग्रेजों राज में रामलीला के मंचन पर रोक लगाई, लेकिन 1911 में पंडित मदन मोहन मालवीय के प्रयासों से फिर से रामलीला मंचन शुरू हुआ। इसके बाद से लगातार हर साल रामलीला मैदान में रामलीला का मंचन किया जाता है। ब्रिटिश काल में रामलीला मैदान अजमेरी गेट के पार फैला हुआ था। मौजूदा कमला मार्केट भी इसका हिस्सा था।
आजादी के आंदोलन की चिंगारी उठी
रामलीला मैदान में सिर्फ रामलीला का मंचन ही नहीं किया जाता रहा बल्कि आजादी के आंदोलन कागवाह भी रहा है। पंडित जवाहर लाल नेहरू, महात्मा गांधी और सरदार पटेल समेत तमाम स्वतंत्रता सेनानियों ने जनता में आजादी की अलख इसी मैदान से जगाने का काम किया। रामलीला मैदान में रामलीला मंचन के दौरान लोग दूर-दूर से देखना आते थे, जिनके बीच देश की स्वतंत्रता की चिंगारी जगाने का काम इसी मैदान से हुआ। मोहम्मद अली जिन्ना को मौलाना की उपाधि दी गई। आजादी के लिए तमाम आयोजन इसी मैदान में हुए हैं। आजादी के बाद देश का बंटवारा हुआ तो पाकिस्तान से आए शरणार्थी को यहीं पर ठहराया गया था।
• बीजेपी का रामलीला मैदान के साथ कनेक्शन
रामलीला मैदान के साथ बीजेपी का गहरा नाता रहा है। 1952 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जम्मू कश्मीर के मुद्दे को लेकर इसी मैदान से सत्याग्रह किया था। बीजेपी के आदर्श पुरुषों में श्याम प्रसाद मुखर्जी शामिल रहे हैं। इसीलिए बीजेपी दिल्ली की सत्ता में 27 साल बाद लौटी है तो शपथ ग्रहण के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान को चुना है। भारत-चीन युद्ध के बाद वर्ष 1963 में लता मंगेशकर ने इसी मैदान में देशभक्ति गीत ऐ मेरे वतन के लोगो गाया था। 1965 में लाल बहादुर शास्त्री ने प्रसिद्ध नारा जय जवान, जय किसान, इसी मैदान से दिया था। इसके बाद सत्ता परिवर्तन की कई गूंज इसी मैदान से उठी। आपातकाल के खिलाफ आंदोलन की चिंगारी इसी मैदान से उठी तो भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना का आंदोलन का गवाह भी यही मैदान बना।
आंदोलन की चिंगारी रामलीला से उठी
1975 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का विरोध किया। संपूर्ण क्रांति आंदोलन का बिगुल जेपी ने इसी मैदान से बिगुल फूंका था। 1977 में कई विपक्षी नेताओं ने यहां एकत्र होकर जनता पार्टी की नींव रखी,जिसमें मोरारजी देसाई, चौ चरण सिंह, चंद्रशेखर अटल बिहारी वाजपेयी और अन्य नेता शामिल थे। वर्ष 2011 में बाबा रामदेव के समर्थकों पर पुलिस की लाठियां बरसीं। उसी वर्ष अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ यहां अनशन किया और देश को एक नई दिशा दी।
वर्ष 2013 में एक और ऐतिहासिक क्षण आया, जब आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अब 20 फरवरी को फिर से रामलीला मैदान एक नया इतिहास बनने जा रहा है, जब 27 साल बाद भाजपा सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होगा।