नई दिल्ली (New Delhi), देसी खबर (Desi Khabar), 24 मार्च 2025, सोमवार : भारत में दालों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर लगातार बढ़ते कदमों का संकेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' के विजन के तहत देखने को मिल रहा है। पिछले दस वर्षों में, जहां एक ओर देश में दालों का आयात बढ़ा है, वहीं दूसरी ओर दालों के निर्यात में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025 की अप्रैल से दिसंबर तक की अवधि में भारत का दाल निर्यात 4,437 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जबकि वर्ष 2015 में यह आंकड़ा केवल 1,218 करोड़ रुपये था। इस प्रकार, पिछले दस वर्षों में दालों के निर्यात में 264.29 प्रतिशत का जबरदस्त इजाफा हुआ है।
अगर हम आयात की बात करें, तो इसमें भी वृद्धि दर्ज की गई है, हालांकि निर्यात की तुलना में यह दर कम रही है। वित्त वर्ष 2025 की अप्रैल-दिसंबर अवधि में देश ने 31,814 करोड़ रुपये की दालों का आयात किया, जबकि वर्ष 2015 में यह आंकड़ा 17,063 करोड़ रुपये था। इस तरह से दालों के आयात में 86.45 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। यह वृद्धि दर्शाती है कि भारत अपनी बढ़ती घरेलू मांग को पूरा करने के लिए दालों के आयात पर निर्भर है, हालांकि निर्यात में हो रही बढ़ोतरी आत्मनिर्भरता की दिशा में सकारात्मक संकेत देती है।
यदि यूपीए सरकार के शासनकाल के दौरान के आंकड़ों पर नजर डालें, तो कांग्रेस के नेतृत्व में दालों के निर्यात में 187.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, जबकि आयात में 457.1 प्रतिशत का इजाफा हुआ था। 2014 में भारत ने 1,749 करोड़ रुपये की दालों का निर्यात किया था, जो 2005 में केवल 608 करोड़ रुपये था। वहीं, यूपीए सरकार के शासनकाल में 2014 में भारत ने 11,037 करोड़ रुपये की दालों का आयात किया था, जबकि 2005 में यह आंकड़ा 1,981 करोड़ रुपये था।
भा.ज.पा. के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने किसानों की आय को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें दालों के किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि भी शामिल है। एनडीए सरकार ने अब तक दालों के किसानों को 93,544 करोड़ रुपये की एमएसपी का भुगतान किया है, जबकि यूपीए सरकार ने अपने कार्यकाल में दालों के किसानों को केवल 1,936 करोड़ रुपये की एमएसपी का भुगतान किया था। यह अंतर यह दर्शाता है कि एनडीए सरकार ने किसानों के कल्याण को एक प्राथमिकता के रूप में लिया है और उन्हें बेहतर समर्थन देने के लिए काम किया है।
भारत सरकार दालों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में निरंतर कदम उठा रही है। वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में केंद्र सरकार ने ऐलान किया था कि देश में तुअर (अरहर), उड़द और मसूर की 100 प्रतिशत खरीद केंद्रीय नोडल एजेंसियों के माध्यम से की जाएगी, जो 2028-29 तक चार वर्षों के लिए निर्धारित की गई है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तुअर (अरहर), मसूर और उड़द की खरीद को क्रमशः 13.22 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी), 9.40 एलएमटी और 1.35 एलएमटी तक बढ़ाने की मंजूरी दी है। यह कदम भारत को दालों में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
इस प्रकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन के तहत दालों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के प्रयास तेज़ हो रहे हैं और निर्यात में हो रही वृद्धि इस दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।
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