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बेलपत्र : आयुर्वेद की अमूल्य औषधि, मधुमेह और संक्रमण का प्रभावी इलाज

लाइफस्टाइल डेस्क | देसी खबर मीडिया : हिंदू धर्म में भगवान शिव को ‘वैद्यनाथ’ के रूप में भी जाना जाता है, अर्थात रोगों के चिकित्सक। यह कोई संयोग नहीं है कि उन्हें समर्पित बेलपत्र को आयुर्वेद में भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। बेल का पेड़—उसकी पत्तियां और फल दोनों ही—स्वास्थ्य के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं। पारंपरिक चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में यह मान्यता है कि बेलपत्र में रोगनाशक गुण होते हैं, जो न केवल सामान्य स्वास्थ्य को बनाए रखते हैं, बल्कि जटिल और कठिन बीमारियों को भी नियंत्रित करने में सक्षम होते हैं। विशेष रूप से मधुमेह और संक्रमण जैसी समस्याओं के लिए यह रामबाण की तरह काम करता है।

★ आयुर्वेद में बेलपत्र का महत्व
पंजाब स्थित 'बाबे के आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल' के वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डॉ. प्रमोद आनंद तिवारी ने बेलपत्र के औषधीय गुणों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह पत्ता केवल धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और चिकित्सीय दृष्टि से भी बेहद उपयोगी है। बेलपत्र में विटामिन ए, सी और बी6 के अलावा कैल्शियम, पोटैशियम, फाइबर तथा शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट तत्व मौजूद होते हैं। ये सभी तत्व शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और विभिन्न आंतरिक गड़बड़ियों को सुधारने में सहायक हैं।

★ मधुमेह और उच्च रक्तचाप के लिए उपयोगी
डॉ. तिवारी के अनुसार, प्रतिदिन सुबह खाली पेट बेलपत्र का सेवन करने से न केवल रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) स्तर नियंत्रित रहता है, बल्कि उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) जैसी समस्या भी संतुलित रहती है। मधुमेह भले ही एक लाइलाज बीमारी मानी जाती हो, लेकिन इसका प्रबंधन करना संभव है और बेलपत्र इसके लिए एक प्रभावी उपाय हो सकता है। बेलपत्र खून में शुगर के स्तर को स्थिर करने में मदद करता है, जिससे मधुमेह जनित जटिलताओं से राहत मिल सकती है।

★ पाचन तंत्र की समस्याओं के लिए वरदान
बेलपत्र में मौजूद फाइबर और अन्य पोषक तत्व पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में अत्यंत प्रभावी माने जाते हैं। यदि किसी को अपच, पेट में जलन, गैस, बदहजमी या कच्ची डकार की समस्या हो, तो सुबह खाली पेट बेलपत्र चबाने से लाभ होता है। यह पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है और आंतरिक गर्मी को शांत करता है।

★ संक्रमण से सुरक्षा और रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि
बेलपत्र के नियमित सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यून सिस्टम को मजबूती मिलती है। यह वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण से लड़ने में शरीर की मदद करता है। गर्मियों में जब शरीर में ऊष्मा बढ़ जाती है और पाचन तंत्र कमजोर होने लगता है, उस समय बेल का रस या बेलपत्र का सेवन ठंडक प्रदान करता है और अंदरूनी संतुलन बनाए रखता है।

★ अन्य लाभ : बुखार, सिरदर्द और गर्मी से राहत
बेलपत्र केवल मधुमेह या पाचन संबंधी समस्याओं तक सीमित नहीं है। यदि किसी को बुखार हो जो आसानी से नहीं उतर रहा, तो बेलपत्र का रस पीने से शरीर को शांति मिलती है और तापमान नियंत्रित होता है। इसी तरह, सिरदर्द की स्थिति में बेलपत्र को पीसकर उसका लेप सिर पर लगाने या सीधे चबाने से भी राहत मिलती है। यह एक प्राकृतिक शीतल औषधि की तरह कार्य करता है।

★ मौसम के अनुसार सेवन में सावधानी आवश्यक
हालांकि बेलपत्र अत्यंत लाभकारी है, फिर भी इसका सेवन मौसम के अनुसार करना चाहिए। डॉ. तिवारी सलाह देते हैं कि सर्दियों के मौसम में एक से अधिक बेलपत्र का सेवन नहीं करना चाहिए, और वह भी काली मिर्च के साथ मिलाकर करना चाहिए। इससे शरीर में संतुलन बना रहता है और ठंड के मौसम में अतिरिक्त शीतलता से शरीर को बचाया जा सकता है।