पटना/बिहार। बिहार की राजनीति एक बार फिर करवट लेती दिख रही है। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान के हालिया बयान से सियासी गलियारों में हलचल मच गई है। उनके बयान — “मेरा प्रदेश मुझे बुला रहा है” — ने यह संकेत दे दिया है कि वे जल्द ही केंद्र सरकार का मंत्री पद छोड़ सकते हैं और पूरी तरह से बिहार की राजनीति में सक्रिय हो सकते हैं।
★ "बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट" की ओर लौटते चिराग
हाल ही में मीडिया से बातचीत के दौरान चिराग पासवान ने कहा —
मेरी राजनीति की नींव ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ पर टिकी हुई है। मेरा प्रदेश मुझे बुला रहा है। मेरे पिता केंद्र की राजनीति में ज्यादा सक्रिय थे, लेकिन मेरी पहली प्राथमिकता बिहार है। मैं ज्यादा समय तक केंद्र में नहीं रह सकता।
उनका यह बयान स्पष्ट संकेत देता है कि वे 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए अब दिल्ली की बजाय पटना की ओर राजनीतिक रुख करने जा रहे हैं।
★ पार्टी का समर्थन और रणनीति साफ
चिराग पासवान के इस बयान के बाद लोजपा (रामविलास) के बिहार प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी ने भी उनकी भावनाओं का समर्थन किया। उन्होंने कहा—
चिराग जी हमारे दिवंगत नेता रामविलास पासवान के सपनों को साकार करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' केवल एक नारा नहीं, बल्कि उनका विज़न है। पार्टी के सभी कार्यकर्ता उनके इस फैसले का स्वागत करते हैं।
★ राजनीतिक विश्लेषण: बिहार में बढ़ेगी चिराग की पकड़?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि चिराग पासवान (Chirag Paswan) का यह कदम केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि रणनीतिक भी है। आने वाले चुनावों में उन्हें युवा और दलित मतदाताओं के बीच एक सशक्त विकल्प के रूप में पेश किया जा सकता है।
विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि नीतीश कुमार के बाद एक नए चेहरे की तलाश में जनता का एक वर्ग है, जिसे चिराग भुनाना चाहेंगे। यह भी माना जा रहा है कि एनडीए में अंदरूनी समीकरणों को संतुलित करने के लिए यह फैसला लिया गया है।
★ क्या कैबिनेट से इस्तीफा देंगे चिराग पासवान?
हालांकि उन्होंने औपचारिक रूप से इस्तीफे की घोषणा नहीं की है, लेकिन उनके बयानों से यह साफ है कि दिल्ली की राजनीति में उनका मन नहीं लग रहा। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट से चिराग जल्द ही अलग होते हैं, और यदि हाँ, तो इसका एनडीए पर क्या असर पड़ता है।
★ बिहार में नई सियासी कहानी की शुरुआत?
चिराग पासवान की यह रणनीति आने वाले चुनावों के मद्देनज़र बेहद अहम मानी जा रही है। अगर वह केंद्र से इस्तीफा देकर बिहार में पूरी ताकत से उतरते हैं, तो यह केवल लोजपा (रामविलास) के लिए नहीं, बल्कि पूरे बिहार की सियासत के लिए बड़ा बदलाव हो सकता है। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि चिराग अपने इरादों को कब औपचारिक रूप देंगे और बिहार की जनता उन्हें कैसे स्वीकार करती है।
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