कोटा/राजस्थान। कचरे के ढेर में जा मिलते शादी-ब्याह के कार्ड अब बीते दिनों की बात हो सकती है — अगर कोटा के एक डॉक्टर दंपति की सोच को अपनाया जाए। पर्यावरण संरक्षण के संदेश को ज़मीन पर उतारते हुए, इस दंपति ने अपने बेटे की शादी के लिए ऐसा इनविटेशन कार्ड छपवाया है, जो दो बार धोने के बाद एक खूबसूरत और उपयोगी रुमाल में बदल जाता है।
★ पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता बनी प्रेरणा
डॉ. गिरीश चंद्र शर्मा और डॉ. रश्मि तिवारी, जो कोटा के रंगबाड़ी योजना क्षेत्र में रहते हैं, पर्यावरणीय जिम्मेदारी को निजी जीवन में उतारने का एक बेहतरीन उदाहरण बन गए हैं। उन्होंने अपने बेटे गौरीज गौतम की शादी में पारंपरिक कागज के निमंत्रण पत्रों की जगह एक इको-फ्रेंडली विकल्प चुना — ऐसा कपड़े का कार्ड, जो दो बार धोने पर पूरी तरह साफ हो जाता है और एक उपयोगी रुमाल बन जाता है।
यह इनविटेशन कार्ड विशेष कपड़े पर छपा हुआ है और इसमें अस्थायी स्याही का इस्तेमाल किया गया है। दो बार वॉश करने के बाद यह पूरी तरह साफ हो जाता है और बेकार होने की बजाय, एक व्यावहारिक उपयोग की वस्तु बन जाता है। इसकी लागत मात्र 37 रुपये है — पारंपरिक कार्ड की लागत के लगभग बराबर, लेकिन कचरे में जाने की बजाय यह कार्ड उपयोग में आता है और पर्यावरण पर कोई बोझ नहीं डालता।
★ कचरे में नहीं, काम में आए कार्ड
डॉ. शर्मा का कहना है कि हर साल लाखों पेपर कार्ड केवल एक बार पढ़े जाने के बाद फेंक दिए जाते हैं, जो न केवल कागज की बर्बादी है, बल्कि इससे पर्यावरण पर भी बुरा असर पड़ता है। उनका यह कदम “Reduce, Reuse, Recycle” की अवधारणा को मजबूती देता है।
राजस्थान भर में इस नवाचार की जमकर सराहना हो रही है। यह पहल न केवल पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ा रही है, बल्कि लोगों को यह भी सिखा रही है कि बड़े आयोजन भी छोटे-छोटे बदलावों के ज़रिए ग्रीन और सस्टेनेबल बन सकते हैं।
★ शादी का कार्ड, जो सिर्फ न्योता नहीं — एक संदेश है
इस उदाहरण ने यह साबित कर दिया कि पर्यावरण की रक्षा सिर्फ नारे नहीं, व्यवहारिक कदमों से होती है। अगर हर परिवार इस सोच को अपनाए, तो हर शादी पर्यावरण के लिए एक सौगात बन सकती है।
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