प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) बिहार के मोतिहारी जिले के निवासियों के लिए एक नई उम्मीद और अवसर का स्रोत बनकर उभरा है। यह योजना न केवल लोगों को उनके गृह जनपद में ही रोजगार उपलब्ध करा रही है, बल्कि छोटे स्तर पर व्यवसाय आरंभ करने की प्रेरणा और आर्थिक सहायता भी दे रही है। वर्ष 2008 में प्रारंभ की गई इस योजना का मूल उद्देश्य छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना और आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाना है।
मोतिहारी के नकछेद टोला के निवासी संजय कुमार कभी बाहर से बैग मंगवाकर बेचने का कार्य करते थे। इस दौरान उन्हें पीएमईजीपी योजना के बारे में जानकारी मिली। उन्होंने योजना के तहत सेंट्रल बैंक से संपर्क किया और योजना के अंतर्गत उन्हें 10 लाख रुपये का ऋण स्वीकृत हुआ। इस आर्थिक सहायता से उन्होंने बैग निर्माण की एक फैक्ट्री स्थापित की। आज संजय केवल खुद का व्यवसाय चला रहे हैं, बल्कि अन्य लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं। उनका कहना है कि इस योजना से उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिला है, और वह प्रधानमंत्री के आभारी हैं जिन्होंने इस तरह की योजना लागू की।
उधर, फैक्ट्री में कार्यरत कारीगर मोहम्मद आफताब ने बताया कि पीएमईजीपी जैसी योजनाओं ने गरीब तबके के लोगों की जिंदगी बदल दी है। पहले उन्हें जीविका के लिए बाहर जाना पड़ता था, जिससे कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब अपने ही राज्य बिहार में काम मिल रहा है।
एक अन्य लाभार्थी मोहम्मद कमर ने भी योजना की सराहना करते हुए कहा कि वे पहले दिल्ली में काम करते थे, लेकिन अब उन्हें अपने ही क्षेत्र में रोजगार मिल गया है। बाहर का जीवन कठिनाइयों से भरा था, लेकिन अब वे अपने परिवार के साथ रह पा रहे हैं और एक सम्मानजनक जीवन जी रहे हैं।
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम एक ऋण-संबद्ध सब्सिडी योजना है, जिसका संचालन भारत सरकार द्वारा किया जाता है। इसका क्रियान्वयन खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) के माध्यम से होता है। यह योजना विशेष रूप से गैर-कृषि क्षेत्रों में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चलाई जाती है, ताकि ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में भी उद्यम स्थापित हो सकें।
इस योजना ने मोतिहारी जैसे शहरों में रहने वाले हजारों लोगों को न केवल रोजगार प्रदान किया है, बल्कि उन्हें सम्मान और आत्मविश्वास के साथ जीवन जीने का अवसर भी दिया है।
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