रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पश्चिमी सीमा पर सुरक्षा स्थिति की विस्तृत समीक्षा की

नई दिल्ली, 13 मई 2025: भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में बढ़े तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को देश की पश्चिमी सीमा पर सुरक्षा की व्यापक समीक्षा की। यह समीक्षा ऐसे समय में हुई है जब आमने-सामने की झड़पों में भारतीय सेना से करारी शिकस्त के बाद पाकिस्तान की ओर से सीमा पार से गोलीबारी और गोला-बारूद का प्रयोग न करने का आश्वासन दिया गया है।

नई दिल्ली में आयोजित इस उच्चस्तरीय बैठक में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और वायुसेना प्रमुख की अनुपस्थिति में वायुसेना के उप प्रमुख एयर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी शामिल हुए। बैठक का उद्देश्य देश की पश्चिमी सीमा पर वर्तमान सुरक्षा स्थिति का मूल्यांकन करना और आगे की रणनीतियों पर चर्चा करना था।

रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, बैठक के दौरान रक्षा मंत्री को पाकिस्तान से सटी नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा की ताजा स्थिति से अवगत कराया गया। इसमें सीमा क्षेत्रों में सेना की तैनाती, पाकिस्तान की ओर से संभावित गतिविधियों और हाल ही में हुई सैन्य बातचीत की जानकारी दी गई।

विशेष रूप से रक्षा मंत्री को भारत और पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) के बीच सोमवार शाम को हॉटलाइन पर हुई वार्ता के बारे में अवगत कराया गया। इस बातचीत में पाकिस्तान ने यह आश्वासन दिया कि वह सीमा पार से कोई गोली नहीं चलाएगा और दोनों पक्षों को आपसी सहमति से आक्रामक और शत्रुतापूर्ण गतिविधियों से दूर रहना चाहिए। यह संवाद द्विपक्षीय विश्वास बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

सेना के अधिकारियों ने यह भी बताया कि दोनों देशों के बीच यह सहमति बनी है कि वे सीमाओं और अग्रिम चौकियों पर तैनात सैनिकों की संख्या में कमी लाने के लिए तत्काल प्रभाव से संभावित उपायों पर विचार करेंगे। इसके अतिरिक्त, दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच हुई अन्य वार्ताओं की विस्तृत जानकारी भी रक्षा मंत्री को दी गई।

इस बीच, भारत सरकार ने मंगलवार को 'ऑपरेशन सिंदूर' की तकनीकी और रणनीतिक जानकारी विभिन्न देशों के रक्षा अताशे (Defence Attachés) के साथ साझा करने का निर्णय लिया है। यह अभियान भारतीय सेनाओं द्वारा आतंकवाद के विरुद्ध चलाए गए व्यापक सैन्य प्रयासों का हिस्सा है। इस सत्र के दौरान रक्षा अताशे को स्वदेशी वायु रक्षा प्रणालियों की क्षमताओं, 7 से 10 मई के बीच किए गए हवाई हमलों के परिणामों और भारतीय वायु क्षेत्र में संभावित घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम करने वाले अभियानों की जानकारी दी जाएगी।

सूत्रों के अनुसार, इस प्रस्तुति में भारतीय वायु सेना द्वारा चीनी और तुर्की निर्मित ड्रोनों तथा पीएल-15 मिसाइलों को निष्क्रिय करने जैसी प्रमुख घटनाओं पर भी चर्चा की जाएगी। इन कार्रवाइयों से भारतीय आकाश में शत्रु की किसी भी गतिविधि को प्रभावी ढंग से रोका जा सका, जिससे देश की वायु सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा हुई है।

यह संपूर्ण घटनाक्रम भारत की रक्षा रणनीति में पारदर्शिता, सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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