नई दिल्ली, 9 मई 2025 — दक्षिण एशिया के दो प्रमुख देशों, भारत और पाकिस्तान, ने भले ही एक ही समय पर आजादी प्राप्त की हो, लेकिन आज इन दोनों राष्ट्रों की सामाजिक, आर्थिक और सामरिक स्थितियाँ बिल्कुल विपरीत ध्रुवों पर खड़ी हैं। भारत जहां वैश्विक मंच पर तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की ओर तेज़ी से अग्रसर है, वहीं पाकिस्तान आर्थिक पतन और राजनीतिक अस्थिरता की गर्त में डूबता जा रहा है।
'ऑपरेशन सिंदूर' के अंतर्गत भारत ने हाल ही में पाकिस्तान के भीतर स्थित नौ आतंकी अड्डों पर एयरस्ट्राइक कर पहलगाम में हुए जघन्य आतंकी हमले का निर्णायक बदला लिया। यह कार्रवाई केवल एक सैन्य प्रतिक्रिया नहीं थी, बल्कि इसके व्यापक प्रभाव पाकिस्तान के आंतरिक ढांचे तक गूंज उठे। पाकिस्तान के शेयर बाजार में भारी गिरावट, निवेशकों में घबराहट और देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था की ओर संकेत कर रही है।
★ भारत : विकास और वैश्विक नेतृत्व की ओर
भारत आज दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। विश्व बैंक के 2024 के आँकड़ों के अनुसार, भारत का GDP 3.88 ट्रिलियन डॉलर के करीब पहुँच चुका है, जो निकट भविष्य में जापान को पीछे छोड़कर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, 2025 तक यह आंकड़ा 4.187 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच सकता है।
विदेशी मुद्रा भंडार की बात करें तो भारत का भंडार 688 अरब डॉलर से अधिक है। देश की आर्थिक नीतियाँ, डिजिटलीकरण, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजनाएं, और सतत सार्वजनिक निवेश भारत को आत्मनिर्भरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूती से आगे ले जा रहे हैं।
★ पाकिस्तान : टूटता विश्वास, गिरती अर्थव्यवस्था
दूसरी ओर पाकिस्तान, जिसकी GDP महज 0.37 ट्रिलियन डॉलर के आसपास है, आर्थिक रूप से बुरी तरह लड़खड़ा रहा है। विदेशी मुद्रा भंडार केवल 15 अरब डॉलर पर सिमट कर रह गया है। IMF और अन्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के दरवाजे खटखटाने के बावजूद पाकिस्तान अपनी वित्तीय जिम्मेदारियों को निभाने में असमर्थ दिख रहा है।
राजनीतिक अस्थिरता, सैन्य वर्चस्व, कट्टरवाद और आतंकवाद को संरक्षण जैसे कारणों ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को जड़ से खोखला कर दिया है। जहां भारत ने लोकतंत्र, नीति सुधार और मानव संसाधन विकास पर ध्यान दिया, वहीं पाकिस्तान ने सेना के प्रभाव, आतंकी गतिविधियों के समर्थन और अंतरराष्ट्रीय अलगाव का मार्ग चुना।
★ विकास बनाम विनाश की नीतियाँ
भारत की आर्थिक रणनीति में शिक्षा, तकनीक, स्वास्थ्य, आधारभूत ढांचे और नवाचार को केंद्र में रखा गया, जिससे उसने अपने करोड़ों नागरिकों को गरीबी से बाहर निकाला। वहीं पाकिस्तान आज भी धार्मिक उन्माद, आंतरिक विद्रोह और वैश्विक अविश्वास से जूझ रहा है।
मूडीज़ की एक रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव, विशेषकर हालिया एयरस्ट्राइक के बाद, पाकिस्तान की वित्तीय स्थिरता पर गहरा नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय सहायता और निवेश का प्रवाह बाधित होने की आशंका है, जिससे पाकिस्तान की संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था और भी अधिक दबाव में आ सकती है।
★ भारत की मजबूती, पाकिस्तान की लाचारी
जहां भारत वैश्विक व्यापार, निवेश और रणनीतिक भागीदारी में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है, वहीं पाकिस्तान को बार-बार FATF की निगरानी सूची में डाला गया है, जिससे उसकी वैश्विक साख को गंभीर नुकसान पहुंचा है। पाकिस्तान की जनता आज बेरोजगारी, महंगाई और असुरक्षा के दलदल में फंसी हुई है।
दक्षिण एशिया की यह दोहरी तस्वीर दर्शाती है कि एक राष्ट्र अपनी लोकतांत्रिक स्थिरता, नीति-संचालित विकास और वैश्विक कूटनीति के ज़रिए आर्थिक महाशक्ति बन सकता है, जबकि दूसरा, यदि गलत निर्णय, आतंकी गठजोड़ और सैन्य प्रभुत्व के रास्ते पर चले तो उसका अंत पतन और अलगाव में ही होता है।
भारत की यह उन्नति और पाकिस्तान की गिरावट केवल दो देशों की तुलना नहीं, बल्कि दो नीतियों और दृष्टिकोणों की टकराहट है — एक विकास की ओर, दूसरी विनाश की ओर।
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