नई दिल्ली, 30 जून 2025। सावन का पवित्र महीना 11 जुलाई से आरंभ होने जा रहा है। भगवान शिव की आराधना के लिए यह मास अत्यंत शुभ और फलदायक माना जाता है। शिव पूजन में जिस एक पवित्र वस्तु का सबसे अधिक महत्व है, वह है बेल पत्र। आमतौर पर शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले तीन पत्तियों वाले बेल पत्र को लोग जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बेल पत्र कई प्रकार के होते हैं और प्रत्येक का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विशिष्ट महत्व है?
🔱 क्या है बेल पत्र का महत्व?
बेल पत्र, जिसे बिल्व पत्र या शिवद्रूम भी कहा जाता है, शिव उपासना का अनिवार्य अंग है। 'शिव पुराण', 'बिल्वाष्टक' और 'श्रीमद् देवी भागवत' जैसे ग्रंथों में इसके गुणों का विस्तार से वर्णन है। यह न केवल पूजा की दृष्टि से विशेष है, बल्कि इसे औषधीय, आध्यात्मिक और पापनाशक भी माना गया है।
देवी भागवत पुराण में कहा गया है—
> "जो भक्त मां भगवती को बिल्व पत्र अर्पित करता है, वह कई जन्मों के पापों से मुक्त होकर सिद्धियों को प्राप्त करता है।"
🌿 कितने प्रकार के होते हैं बेल पत्र?
1. अखंड बिल्व पत्र
यह बेल पत्र संपूर्ण, बिना खंडित और दुर्लभ होता है।
बिल्वाष्टक में इसे लक्ष्मी सिद्ध बताया गया है।
यह एकमुखी रुद्राक्ष के समान शक्तिशाली माना गया है।
इसका उपयोग वास्तु दोष निवारण, धन प्राप्ति और समृद्धि के लिए किया जाता है।
2. तीन पत्तियों वाला बेल पत्र
यह सबसे सामान्य और व्यापक रूप से उपलब्ध बेल पत्र है।
यह त्रिगुण (सत्व, रज, तम) और त्रिनेत्रधारी शिव का प्रतीक है।
इसे धतूरे के फूल के साथ अर्पित करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
3. 6 से 21 पत्तियों वाला बेल पत्र
यह बेहद दुर्लभ होता है, मुख्यतः नेपाल और कुछ विशेष भारतीय क्षेत्रों में पाया जाता है।
इसे रुद्राक्ष के समान प्रभावशाली माना जाता है।
इस पत्र का पूजन विशेष सिद्धियों की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
4. श्वेत बेल पत्र (सफेद बेल पत्र)
यह पूर्णत: सफेद रंग का बेल पत्र होता है, जो अत्यंत दुर्लभ है।
इसे प्रकृति की अनमोल देन माना जाता है।
शिव पूजा में इसका प्रयोग अत्यंत पुण्यदायक माना गया है।
यह मानसिक शांति, रोग निवारण और विशेष मनोकामना पूर्ति में सहायक होता है।
🌺 बिल्व वृक्ष में वास करती हैं देवी लक्ष्मी
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, बिल्व वृक्ष का सीधा संबंध देवी लक्ष्मी से भी है। प्राचीन काल में बिल्व फल को 'श्रीफल' कहा जाता था और लक्ष्मी पूजन में इसका विशेष स्थान था। आज भले ही नारियल ने इसका स्थान ले लिया हो, परंतु मान्यता है कि बिल्व वृक्ष में महालक्ष्मी स्वयं वास करती हैं।
🕉️ सावन में बेल पत्र का पूजन क्यों है विशेष?
सावन भगवान शिव का प्रिय महीना है और इस दौरान बेल पत्र अर्पित करने से शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। कहा जाता है कि यदि बेल पत्र का संयम, श्रद्धा और नियम से पूजन किया जाए, तो जीवन के संकट दूर होते हैं, मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग खुलता है।
🔔 इस सावन, केवल पत्तियों की संख्या पर नहीं, उनके आध्यात्मिक अर्थ पर भी ध्यान दें। क्योंकि हर बेल पत्र अपने भीतर एक विशेष ऊर्जा और आशीर्वाद समेटे हुए होता है।
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