Ranchi: मांडर में छात्राओं और ग्रामीणों ने अनोखे अंदाज़ में किया विरोध, सड़क पर की धान रोपनी

रांची/झारखंड। मांडर प्रखंड के मुड़मा चौक के पास रविवार को एक अनोखा विरोध प्रदर्शन देखने को मिला, जहां कीचड़ से भरी जर्जर सड़क पर स्कूली छात्राओं और ग्रामीणों ने धान की रोपनी कर सरकार और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ नाराजगी जाहिर की। विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व आबरूल अंसारी ने किया, जिसमें सेवानिवृत्त शिक्षक बैरांगी उरांव, मौलाना मजीबुल्लाह, दिलीप ठाकुर, भवानी उरांव, विश्वनाथ उरांव, साजिद अंसारी, मौलाना मजहर, सलीम एक्का, जलील अंसारी और सैकड़ों ग्रामीण तथा छात्राएं शामिल रहीं।

कीचड़ में सड़क, खेत बना रास्ता
प्रदर्शनकारियों ने बताया कि बड़गड़ी मुख्य मार्ग से जुड़ने वाली यह सड़क मुड़मा, मेशाल, चूंद, सेवड़ी, दौठाटोली, केशकानी, मालती, चोरया, तरंगा, चटवाल, करगे ब्राम्बे समेत दर्जनों गांवों को जोड़ती है। लेकिन सड़क की हालत इतनी खराब है कि पैदल चलना भी दूभर हो गया है। साइकिल और बाइक चलाना तो जैसे जान जोखिम में डालने जैसा हो गया है।

छात्राओं की पढ़ाई और गांव की अर्थव्यवस्था पर असर
सेवानिवृत्त शिक्षक बैरांगी उरांव ने कहा कि सड़क की बदहाली से बच्चों की शिक्षा बाधित हो रही है, वहीं किसानों की उपज बाजार तक नहीं पहुंच पा रही है। आपात स्थिति में मरीजों को भी समय पर अस्पताल ले जाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में यह केवल सड़क नहीं, बल्कि गांव के समग्र विकास में बाधा बन चुकी है।

जनप्रतिनिधियों पर उपेक्षा का आरोप
मुड़मा पंचायत के मुखिया बंधन उरांव ने आरोप लगाते हुए कहा कि, "जनप्रतिनिधि चुनाव के समय शिलान्यास करके चले जाते हैं, लेकिन बाद में कभी क्षेत्र की सुध नहीं लेते। उन्हें जनता के दुख-दर्द से कोई लेना-देना नहीं है।" ग्रामीणों का कहना है कि सांसद और विधायक सिर्फ वोट मांगने के वक्त नजर आते हैं, इसके बाद पांच साल तक जनता को भगवान भरोसे छोड़ देते हैं।

ग्रामीणों की चेतावनी: नहीं सुधरी सड़क, तो होगा उग्र आंदोलन
प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों ने प्रशासन और सरकार को कड़ी चेतावनी दी कि यदि जल्द से जल्द सड़क की मरम्मत नहीं की गई तो आंदोलन और भी बड़ा और उग्र रूप लेगा। ग्रामीणों का कहना है कि यह प्रदर्शन सिर्फ शुरुआत है, आगे जरूरत पड़ी तो प्रखंड कार्यालय और जिला मुख्यालय पर भी धरना दिया जाएगा।

पवित्र धान रोपनी की परंपरा के माध्यम से विरोध जताकर मांडर के ग्रामीणों और छात्राओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब वे अपने अधिकारों के लिए शांत नहीं बैठेंगे। सड़क की मरम्मत नहीं, तो आंदोलन जारी रहेगा, यही अब ग्रामीणों का संकल्प है।
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