उन्नाव के 400 वर्ष पुराने शिवालय में है रहस्यमयी नागों की मौजूदगी, दर्शन से मिलती है रोगों से मुक्ति

उन्नाव/उत्तर प्रदेश, 7 अगस्त 2025, गुरुवार : उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में स्थित बोधेश्वर महादेव मंदिर न केवल श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि चमत्कार और रहस्य का अद्भुत संगम भी है। सावन के अंतिम सप्ताह में जब शिवभक्तों का उत्साह चरम पर है, तब यह शिवालय एक बार फिर चर्चा में है—अपने प्राचीन पंचमुखी शिवलिंग और मंदिर प्रांगण में रात्रि को आने वाले नागों के कारण।

उन्नाव के बांगरमऊ क्षेत्र में कल्याणी नदी के किनारे स्थित यह मंदिर करीब 400 वर्षों पुराना है। सावन में यहां हर दिन हजारों श्रद्धालु पंचमुखी शिवलिंग का दर्शन करने पहुंचते हैं, जिनकी मान्यता है कि इस शिवलिंग के स्पर्श मात्र से अनेक असाध्य रोग दूर हो जाते हैं। यही नहीं, यह शिवलिंग विशेष प्रकार के विलुप्त हो चुके दुर्लभ पत्थर से निर्मित है, जिसे देखकर पुरातत्व विशेषज्ञ भी चकित रह जाते हैं।

मंदिर के गर्भगृह में स्थित पंचमुखी शिवलिंग की बनावट और उसकी चमक आज भी अक्षुण्ण है। इसके अलावा नंदी और नवग्रहों की मूर्तियां भी इस शिवालय को विशेष बनाती हैं, जिनमें 15वीं शताब्दी की पाषाण कला की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।

मंदिर की सबसे रहस्यमयी विशेषता है—रात के समय मंदिर में स्वतः प्रवेश करने वाले काले नाग। स्थानीय श्रद्धालुओं का दावा है कि अर्धरात्रि में दर्जनों सांप मंदिर में प्रवेश करते हैं, शिवलिंग का स्पर्श कर पूजा करते हैं और फिर वापस जंगल की ओर लौट जाते हैं। इस दृश्य को कई भक्तों ने अपनी आंखों से देखने का दावा भी किया है। मान्यता है कि ये नाग भगवान शिव के गण हैं और साक्षात भोलेनाथ की सेवा में रत रहते हैं।

मंदिर के इतिहास से जुड़ी एक प्राचीन कथा भी प्रचलित है। कहा जाता है कि राजा नेवल को स्वप्न में भगवान शिव ने आदेश दिया था कि वे पंचमुखी शिवलिंग, नंदी और नवग्रहों की स्थापना करें। जब प्रतिमाएं रथ द्वारा राजधानी लाई जा रही थीं, तभी रथ बोधेश्वर क्षेत्र में जमीन में धंस गया। कई प्रयासों के बावजूद जब रथ नहीं निकला, तो उसी स्थान पर मंदिर की स्थापना की गई।

पुरातत्वविदों के अनुसार, मंदिर के आसपास स्थित लगभग तीन एकड़ क्षेत्र का टीला किसी प्राचीन नगर के अवशेष हैं, जो संभवतः किसी प्राकृतिक आपदा में नष्ट हो गया था।

बोधेश्वर महादेव मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है। सावन, महाशिवरात्रि और अन्य शिवपर्वों पर यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। लेकिन वर्ष के अन्य दिनों में भी यहां श्रद्धालुओं का आना-जाना बना रहता है।

बोधेश्वर धाम में आज भी आस्था के साथ-साथ रहस्य का ऐसा अद्भुत मेल देखने को मिलता है, जो इसे उत्तर भारत के प्रमुख शिवालयों में एक विशिष्ट स्थान प्रदान करता है।
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