शिक्षक और कलाकार मिलकर गढ़ते हैं समाज की आत्मा और राष्ट्र का भविष्य : दिनेश मंडल

जमुई/बिहार। शिक्षक दिवस के अवसर पर नगर परिषद क्षेत्र के कल्याणपुर स्थित मीना कुंज के संवाद कक्ष में रविवार की देर शाम “समाज में शिक्षक और कलाकार का महत्व” विषय पर एक भव्य परिचर्चा सह सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। इस गरिमामयी कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ शिक्षक श्री दिनेश मंडल ने की और मंच संचालन का दायित्व भी उन्हीं ने निभाया।

कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि वरिष्ठ अधिवक्ता एवं व्यवहार न्यायालय के जीपी श्री प्रभात कुमार भगत, मुख्य वक्ता केकेएम कॉलेज के पीजी इकोनॉमिक्स विभागाध्यक्ष डॉ. गौरी शंकर पासवान तथा विशिष्ट अतिथि अधिवक्ता अशोक कुमार एवं वरिष्ठ शिक्षक दिनेश मंडल ने संयुक्त रूप से केक काटकर की। इस अवसर पर लोकगायक सुरेंद्र कुमार तांती और अनिल कुमार पाठक ने मधुर लोकगीत प्रस्तुत कर वातावरण को सांस्कृतिक रंगों से सराबोर कर दिया।
मुख्य अतिथि प्रभात कुमार भगत ने अपने संबोधन में कहा कि “शिक्षक समाज की धड़कन हैं। इनके बिना विकास की कोई भी कल्पना अधूरी है। शिक्षक समाज में न्याय, नैतिकता और मूल्यों के संरक्षक हैं। जिस प्रकार न्यायालय समाज में संतुलन स्थापित करता है, उसी प्रकार शिक्षक भी मानव जीवन में संतुलन और मर्यादा का आधार बनते हैं।”

मुख्य वक्ता डॉ. गौरी शंकर पासवान ने कहा कि “गुरु का स्थान भगवान से भी ऊँचा है। शिक्षक वह दीपक हैं, जो स्वयं जलकर समाज और राष्ट्र को प्रकाशमान करते हैं। कलाकार समाज की आत्मा को जीवित रखते हैं, जबकि शिक्षक मस्तिष्क को प्रखर बनाते हैं। दोनों मिलकर संस्कृति और ज्ञान का सेतु बनाते हैं।”

विशिष्ट अतिथि अधिवक्ता अशोक कुमार ने कहा कि “शिक्षक राष्ट्र को दिशा देते हैं, किंतु कलाकार राष्ट्र को पहचान दिलाते हैं। शिक्षा और कला का संगम ही वास्तविक समाज निर्माण की नींव है।”

अध्यक्षीय संबोधन में वरिष्ठ शिक्षक दिनेश मंडल ने कहा कि “गुरु के बिना विद्यार्थी दिशाहीन हो जाते हैं और संस्कृति के बिना समाज निर्जीव हो जाता है। शिक्षक और कलाकार मिलकर समाज की आत्मा को जीवित रखते हैं तथा राष्ट्र के भविष्य को गढ़ते हैं। यही कारण है कि दोनों का योगदान अमूल्य और अनमोल है।” उन्होंने मुख्य अतिथि प्रभात कुमार भगत और डॉ. गौरी शंकर पासवान सहित सभी विशिष्ट अतिथियों का आभार व्यक्त किया और लोक कलाकारों को भी धन्यवाद ज्ञापित किया, जिन्होंने अपनी कला से इस संध्या को अविस्मरणीय बना दिया।

लोक गायक सुरेंद्र कुमार तांती ने अपने विचार रखते हुए कहा कि “गुरु का स्थान सदैव सर्वोच्च होता है। शिक्षक वह सुर हैं जिनसे शिक्षा का राग मधुर और सुरीला बनता है।” वहीं अनिल कुमार पाठक ने कहा कि “शिक्षक समाज का आधार स्तंभ हैं। जिस प्रकार हारमोनियम के बिना संगीत अधूरा लगता है, उसी प्रकार शिक्षक के बिना जीवन अधूरा है।”

लोक कलाकार जयराम प्रसाद और पिंकी कुमारी ने संयुक्त रूप से कहा कि “गुरु जीवन की ताल हैं। उनके बिना जीवन की लय बिगड़ जाती है। शिक्षक जहाँ भविष्य के प्रहरी हैं, वहीं कलाकार संस्कृति के प्रहरी हैं।”
इस अवसर पर नगर के कई बुद्धिजीवी, शिक्षक और समाजसेवी उपस्थित रहे जिनमें श्री ब्रजेश कुमार सिंह, मंटू कुमार पासवान, प्रो. संजीव कुमार सिंह, सोनी कुमारी सहित अनेक गणमान्य लोग शामिल थे।

कार्यक्रम का समापन उत्साह और सांस्कृतिक रंगों के बीच शिक्षकों और कलाकारों के महत्व को रेखांकित करते हुए हुआ।
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