सिद्धि और मोक्ष दोनों का द्वार खोल देती हैं मां सिद्धिदात्री : प्रो. गौरी शंकर

जमुई/बिहार। हिंदू धर्म में नवरात्रि के नौवे दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना का विशेष महत्व है. मां सिद्धिदात्री की महिमा और विजयदशमी के महत्व पर स्थानीय कुमार कालिका मेमोरियल महाविद्यालय के स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. गौरी शंकर पासवान ने कहा कि मां सिद्धिदात्री सिद्धियों की अधिष्ठात्री और भक्तों की संरक्षिका हैं। मां की सच्ची पूजा-उपासना करने से साधकों को आठ प्रमुख सिद्धियां प्राप्त होती हैं- जैसे अनिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा,प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व।

उन्होंने कहा कि सिद्धिदात्री सिद्धि और मोक्ष दोनों का द्वार खोलती हैं। मां की कृपा से साधक को  धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष (चार पुरुषार्थ ) की प्राप्ति होती है। मां सिद्धि रात्रि अपने भक्तों की झोली में हमेशा कृपा और सुख समृद्धि भर देती हैं। यदि भक्ति में दृढ़ता हो तो मां का आशीर्वाद निश्चित रूप से मिलता है। भक्ति और तप का सच्चा फल मां सिद्धिदात्री के चरणों में ही मिलता है।

प्रो.गौरी शंकर ने कहा कि सिद्धिदात्री की असीम कृपा से साधक की आत्मा और परमात्मा का मिलन संभव हो जाता है। कहते हैं कि भगवान शंकर ने मां सिद्धिदात्री की कृपा से अर्धनारीश्वर का रूप धारण किया था। ज्ञान, वैराग्य, भक्ति और पराक्रम मां द्वारा प्रदान की जाती है। इनकी पूजा अर्चना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आंतरिक संतोष का संचार होता है।

उन्होंने कहा कि नवरात्रि और दशहरा का उत्सव करोड़ों हिंदू श्रद्धालुओं तथा देश की अर्थव्यवस्था के लिए खुशियां लेकर आता है। कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर (CAIT) के अनुमान के अनुसार नवरात्रि, रामलीला, दशहरा जैसे 10 दिवसीय उत्सव से देश को लगभग 50 हजार करोड़ तक का बिजनेस होने की संभावनाऐं है. विजयवाड़ा की कनाका दुर्गा मंदिर से दशहरा के समय करीब 14.71 करोड़ का राजस्व उत्पन्न होता है.डिजिटल ट्रांजेक्शन इन उत्सवों के दौरान करीब एक दिन में 11.31 लाख करोड़ का होता है। सीएआईटी के अनुसार सिर्फ दिल्ली में ही नवरात्रि के डेढ़ सप्ताह में रिटेल व्यापार 8000 करोड़ से अधिक  होने का अनुमान है। जो भी हो दुर्गा के नौ रूपों की तन-मन, शुद्धता और स्वच्छता के साथ पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

उन्होंने कहा कि नवरात्रि और दशहरा सिर्फ धार्मिक त्योहार ही नहीं, बल्कि समाज को सांगांठित करने वाला पर्व है। सामाजिक दृष्टि से यह एकता और सहयोग की भावना को पुष्ट करता है।आर्थिक दृष्टि से यह पर्व खुशहाली और समृद्धि का संदेश देता है। अतः 'ऊं देवी सिद्धिदात्री नमः'अर्थात सिद्धि और शक्ति देने वाली मां को मैं नमन करता हूं.
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