जमुई/बिहार। जिला विधिक सेवा प्राधिकार, जमुई के तत्वावधान में 21 सितम्बर 2025, रविवार को लक्ष्मीपुर प्रखंड के नजारी पंचायत अंतर्गत सूजना पहाड़ी गांव में एक महत्वपूर्ण विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ग्रामीणों, विशेषकर युवाओं और अभिभावकों को किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2000 के प्रावधानों की जानकारी देना और समाज में विधि-विरुद्ध बालकों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण विकसित करना था।
इस अवसर पर प्राधिकार के पैनल अधिवक्ता श्री राजकुमार यादव एवं अधिकार मित्र श्रीमती कल्पना कुमारी ने संयुक्त रूप से जागरूकता सत्र को संबोधित किया। पैनल अधिवक्ता श्री यादव ने विस्तार से बताया कि विधि-विरुद्ध बालक, यानी कानून के खिलाफ किसी प्रकार का अपराध करने वाले नाबालिग, भी संविधान और कानून के तहत समान अधिकार रखते हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक ऐसे बालक को निःशुल्क विधिक सेवा प्राप्त करने का अधिकार है, जिसके लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकार लगातार सक्रिय है।
श्री यादव ने अधिनियम के पारा 63 का विशेष उल्लेख करते हुए बताया कि प्रत्येक थाने में एक ऐसे प्रशिक्षित पुलिस पदाधिकारी की नियुक्ति अनिवार्य है, जिसे बाल अपराध से संबंधित मामलों में पर्याप्त प्रशिक्षण प्राप्त हो। केवल वही अधिकारी विधि-विरुद्ध बच्चों के मामलों की जांच और कार्रवाई करेंगे। इसके अतिरिक्त हर जिले और शहर में “स्पेशल जूविनाइल पुलिस यूनिट” (विशेष किशोर पुलिस इकाई) का गठन किया जाता है, जिसमें बच्चों के मामलों को देखने के लिए विशेषज्ञ पुलिस पदाधिकारी शामिल किए जाते हैं।
उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि किशोर न्याय अधिनियम में विधि-विरुद्ध बच्चों के लिए विशेष किशोर न्यायालय, पर्यवेक्षक गृह और पुनर्वास की व्यापक व्यवस्था की गई है। इसका उद्देश्य दंड देने के बजाय बच्चों के सुधार, देखरेख और समाज में पुनः स्थापित करने पर बल देना है।
श्री यादव ने कहा कि समाज को यह समझना होगा कि कानून से भटकने वाले बच्चे अपराधी नहीं, बल्कि परिस्थितियों के शिकार होते हैं, जिनके लिए संवेदनशीलता और पुनर्वास की आवश्यकता है। जिला विधिक सेवा प्राधिकार ऐसे बच्चों को निशुल्क एवं सक्षम विधिक सहायता उपलब्ध कराता है, ताकि उन्हें न्याय मिल सके और वे पुनः मुख्यधारा में लौट सकें।
शिविर में ग्रामीणों ने बड़ी संख्या में भाग लेकर किशोर न्याय कानून, निःशुल्क विधिक सेवा योजना और बच्चों के कानूनी अधिकारों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की। कार्यक्रम के दौरान उपस्थित लोगों ने कई प्रश्न पूछे, जिनका विशेषज्ञों द्वारा विस्तार से समाधान किया गया।
इस जागरूकता शिविर ने ग्रामीण समुदाय में किशोर न्याय अधिनियम के महत्व और बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा को लेकर नई समझ विकसित की। आयोजकों ने बताया कि भविष्य में भी ऐसे विधिक जागरूकता कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित किए जाएंगे, ताकि समाज के अंतिम पायदान तक कानूनी जानकारी पहुंच सके और हर बच्चा न्याय एवं संरक्षण का हकदार बन सके।
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