वाराणसी/उत्तर प्रदेश। काशी के पवित्र मठों और मंदिरों पर नगर निगम द्वारा टैक्स वसूली को लेकर भेजे गए नोटिस ने संत समाज में गहरी नाराजगी पैदा कर दी है। “टैक्स जमा करें, अन्यथा कुर्की की कार्रवाई होगी” जैसे शब्दों वाले नोटिस को संतों ने सनातन परंपरा और धार्मिक संस्थाओं के सम्मान पर सीधा प्रहार बताया है। इसी मुद्दे को लेकर पातालपुरी मठ में संतों की एक बड़ी बैठक आयोजित की गई, जिसकी अगुवाई पातालपुरी मठ के महंत बालक दास जी महाराज ने की। बैठक में बड़ी संख्या में साधु–संत एकत्र हुए और एक स्वर में सरकार से अयोध्या, काशी और मथुरा को विशेष धार्मिक दर्जा देने की मांग उठाई।
संतों का कहना है कि अयोध्या, काशी और मथुरा केवल तीर्थस्थल ही नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति की आत्मा हैं। यहां स्थित मठ और मंदिर सदियों से बिना किसी सरकारी सहायता के धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक कार्य करते आ रहे हैं। ऐसे में इन पर नगर निगम के कर थोपना न केवल अनुचित है, बल्कि धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला कदम भी है। संतों ने स्पष्ट मांग रखी कि इन तीनों तीर्थ नगरीयों के सभी मठों और मंदिरों को नगर निगम के प्रत्येक प्रकार के टैक्स से पूर्णतः मुक्त किया जाए।
बैठक को संबोधित करते हुए जगद्गुरु बालक दास जी महाराज ने कड़े शब्दों में कहा कि यदि सरकार सनातन धर्म और उसकी परंपराओं की रक्षा के लिए ठोस कदम नहीं उठा सकती, तो कम से कम मंदिरों की आय पर निर्भर रहने वाली संस्थाओं को करों के बोझ से मुक्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मठ और मंदिर समाज को शांति, अनुशासन और नैतिकता का पाठ पढ़ाते हैं तथा वैदिक संस्कृति, कर्मकांड और परंपराओं को आगे बढ़ाने का कार्य अपने संसाधनों से करते हैं। ऐसे संस्थानों को कुर्की की धमकी देना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
संतों ने यह भी मांग की कि जिन अधिकारियों ने मठों और मंदिरों को कुर्की संबंधी नोटिस भेजे हैं, उन्हें चिन्हित कर तत्काल पद से हटाया जाए। संत समाज का कहना है कि इस तरह की प्रशासनिक कठोरता से धार्मिक संस्थाओं की गरिमा को ठेस पहुंचती है। बालक दास जी महाराज ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो संत समाज व्यापक जन आंदोलन के लिए बाध्य होगा और यह विरोध सड़क पर जनता के बीच दिखाई देगा।
बैठक और विरोध प्रदर्शन में महंत डॉ. श्रणव दास, महंत अवध बिहारी दास, महंत शिवदास, महंत संत दास, महंत सियाबल्लभ शरण दास, महंत सियाराम दास, महंत शिवकुमार दास, महंत गोविंद दास, महंत अवध किशोर दास, महंत राघव दास सहित अनेक प्रमुख संत–महंत उपस्थित रहे। सभी ने एकमत से कहा कि धार्मिक नगरीयों के मठ–मंदिरों को करमुक्त करना समय की मांग है और शासन को इस दिशा में तुरंत पहल करनी चाहिए।
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