पटना/बिहार। पिता बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं, माता वैशाली लोकसभा क्षेत्र से लगातार दूसरी बार सांसद चुनी गई हैं और अब बेटी विधायक बनकर विधानसभा पहुंची हैं। यह तस्वीर पहली नजर में भले ही राजनीतिक परिवारवाद की लगे, लेकिन कोमल सिंह की कहानी सिर्फ विरासत तक सीमित नहीं है। महज 30 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने संघर्ष, निरंतर सक्रियता और जनता से जुड़े रहने की राजनीति के दम पर यह मुकाम हासिल किया है।गायघाट विधानसभा क्षेत्र से जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) की उम्मीदवार के रूप में कोमल सिंह ने शानदार जीत दर्ज करते हुए राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के मौजूदा विधायक निरंजन राय को 23,479 मतों के बड़े अंतर से पराजित किया। यह जीत न केवल उनकी पहली विधानसभा सफलता है, बल्कि क्षेत्र में एक नए, युवा और सक्रिय नेतृत्व के उदय का संदेश भी देती है।
कोमल सिंह बिहार की सबसे युवा और चर्चित महिला विधायकों में शुमार हो चुकी हैं। राजनीति उन्हें विरासत में जरूर मिली, लेकिन जनता के बीच रहकर काम करना, क्षेत्रीय मुद्दों को मजबूती से उठाना और हर वर्ग से संवाद बनाना उनकी अपनी मेहनत का परिणाम रहा है। इसी मेहनत ने उन्हें एक अलग पहचान दी है।उनकी माता वीणा सिंह लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) से वैशाली लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, जबकि पिता दिनेश प्रसाद सिंह जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता और बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं।
सांसद और एमएलसी की बेटी के विधायक बनने के साथ ही इस परिवार की अगली पीढ़ी ने सक्रिय राजनीति में मजबूत प्रवेश किया है, लेकिन कोमल सिंह की सफलता को केवल पारिवारिक पृष्ठभूमि से जोड़कर देखना उनके संघर्ष के साथ अन्याय होगा।वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में कोमल सिंह ने एलजेपी प्रत्याशी के रूप में गायघाट सीट से चुनाव लड़ा था। उस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा और वे तीसरे स्थान पर रहीं। इसके बावजूद उन्होंने राजनीति से दूरी नहीं बनाई। हार के बाद भी वे लगातार क्षेत्र में सक्रिय रहीं, जनता के सुख-दुख में शामिल होती रहीं और जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने में जुटी रहीं।
युवाओं और महिलाओं के बीच उनकी मजबूत पकड़, संगठनात्मक क्षमता और लगातार जनसंपर्क का ही नतीजा रहा कि इस बार जनता दल यूनाइटेड ने उन पर भरोसा जताया। कोमल सिंह ने उस भरोसे को ऐतिहासिक जनादेश में बदलते हुए यह साबित कर दिया कि राजनीति में टिकाऊ सफलता केवल नाम से नहीं, बल्कि संघर्ष, धैर्य और जनता के साथ खड़े रहने से मिलती है।
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