Varanasi: गायत्री परिवार के युवा दंपति सम्मेलन में गूंजा पारिवारिक मूल्यों का संदेश, बढ़ते तलाक पर जताई चिंता

वाराणसी/उत्तर प्रदेश। तेजी से बदलती जीवनशैली, पाश्चात्य संस्कृति का बढ़ता प्रभाव और अध्यात्म से दूरी आज के समाज को भीतर से खोखला कर रही है। इसका सीधा असर दांपत्य जीवन, परिवार और सामाजिक संरचना पर पड़ रहा है। यह विचार रविवार को गायत्री परिवार द्वारा आयोजित युवा दंपति सम्मेलन में वक्ताओं ने व्यक्त किए। सम्मेलन का आयोजन गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में गायत्री शक्तिपीठ, नगवां (लंका), वाराणसी परिसर में प्रातः 10 बजे से किया गया।

वाराणसी उप-जोन के अंतर्गत आयोजित इस युवा दंपति सम्मेलन में वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर, मिर्जापुर, प्रयागराज सहित आसपास के कई जिलों से आए सैकड़ों युवा गायत्री साधकों ने अपनी धर्मपत्नी के साथ सहभागिता की। सम्मेलन का उद्देश्य युवा दंपतियों को दांपत्य जीवन के आध्यात्मिक, नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ना रहा।

मुख्य वक्ता के रूप में गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार से आए प्रतिनिधि आशीष सिंह ने कहा कि आदर्श परिवार की नींव आदर्श दंपत्ति पर टिकी होती है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी, भौतिकतावाद और पाश्चात्य सोच ने दांपत्य जीवन की पवित्रता को प्रभावित किया है, जिसके दुष्परिणाम तलाक, पारिवारिक कलह और आत्महत्या जैसी घटनाओं के रूप में सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब दांपत्य जीवन अध्यात्म से हटकर केवल भोग-विलास पर केंद्रित हो जाता है, तब पति-पत्नी के बीच दूरियां बढ़ने लगती हैं और बच्चों के जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

आशीष सिंह ने दांपत्य जीवन को तपोवन की संज्ञा देते हुए कहा कि गृहस्थ जीवन एक साधना स्थल है, जहां प्रेम, सहयोग, सहनशीलता और त्याग का अभ्यास आवश्यक है। इसी साधना के माध्यम से संस्कारवान, योग्य और समाज के लिए उपयोगी संतान का निर्माण संभव होता है। उन्होंने युवा दंपतियों को आदर्श जीवन के सूत्र बताते हुए अध्यात्म को जीवन का अभिन्न अंग बनाने का आह्वान किया।

सम्मेलन को उत्तर प्रदेश युवा प्रकोष्ठ के समन्वयक प्रभाकर सक्सेना, प्रांतीय मीडिया प्रभारी अनुराग मौर्य, सीताराम जी एवं जय प्रकाश वर्मा ने भी संबोधित किया। वक्ताओं ने भारतीय संस्कृति, पारिवारिक एकता और धार्मिक मूल्यों को सहेजने पर बल दिया।

कार्यक्रम का संचालन जय प्रकाश वर्मा ने किया। शांतिकुंज हरिद्वार से आए प्रतिनिधियों का स्वागत प्रोफेसर डॉ. अमित शुक्ला एवं प्रोफेसर डॉ. अरुण दुबे ने सपत्नीक किया। कार्यक्रम का संयोजन जिला युवा समन्वयक वाराणसी विद्याधर मिश्र द्वारा किया गया।

इस अवसर पर पंडित गंगाधर उपाध्याय, क्षितिज श्रीवास्तव, डॉ. भगवान दास, दीपक जोशी, ओमेश्वर सेपट, रवि नंदन तिवारी, रूपेश सिंह, राकेश पांडेय, वीरेन्द्र सिंह, रणधीर सिंह, अजय गुप्ता, विजय कुमार श्रीवास्तव, हीरावती सिंह, पूर्णिमा भारद्वाज, गीता मिश्रा, वर्षा सिंह सहित सैकड़ों गायत्री साधकों ने सपत्नीक सहभागिता की। सम्मेलन के माध्यम से समाज को अध्यात्म, संस्कृति और पारिवारिक मूल्यों की ओर लौटने का प्रेरक संदेश दिया गया।
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