जमुई/बिहार (Jamui/Bihar), 21 अक्टूबर 2024, सोमवार | रिपोर्ट – अभिलाष कुमार : विश्व सांख्यिकी दिवस के अवसर पर केकेएम कॉलेज के प्रांगण में अर्थशास्त्र विभाग के तत्वाधान में "सांख्यिकी का बहुआयामी महत्व और योगदान" विषय पर एक परिचर्चा आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. गौरी शंकर पासवान ने की।
केकेएम कॉलेज के गणित विभाग के वरिष्ठ एसोसिएट प्रोफेसर सह प्रधानाचार्य डॉ.चंद्रमा सिंह ने मुख्य अतिथि के बतौर अपने संबोधन में कहा कि सांख्यिकी गणित का एक शाखा है। गणित के बिना साइंस नहीं चलता। सांख्यिकी का भी आधार गणित ही है। सांख्यिकी के सिद्धांत और तकनीकें गणितीय सिद्धांतों पर आधारित है। सांख्यिकी एक ऐसा विषय है जिसका बहुआयामी महत्व है। हर वर्ष 20 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य सांख्यिकी विज्ञान और उसकी उपयोगिता के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना है। भारत का सबसे बड़ा सांख्यिकीविद और अर्थशास्त्री प्रशांत चंद्र महानलोविस के जन्मदिन 29 जून को भी राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस मनाते हैं।
अपने अध्यक्षीय प्रबोधन में पीजी हेड डॉ. गौरी शंकर पासवान ने कहा कि सांख्यिकी संसार की गतिशीलता को समझने की खिड़की है। क्योंकि यह हमें जटिल से जटिल डेटा और जानकारी को व्यवस्थित तथा विश्लेषित करने का एक सटीक तरीका प्रदान करता है। यह शिक्षा, चिकित्सा, व्यापार, चुनाव और विज्ञान में निर्णय लेने ने सहायता करती है। सांख्यिकी जीवन के विभिन्न पहलुओं की भविष्यवाणी, तुलना और मूल्यांकन करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रो.पासवान कहा कि सांख्यिकी सटीकता लाने का विज्ञान और भावी योजनाओं एवं भविष्यवाणियों की कुंजी है। चुकी यह डाटा के आधार पर सही जानकारी प्रदान करने के लिए विधियों एवं तकनीकों का उपयोग करती है। सांख्यिकी जीवन का सार, और विश्लेषण का आधार है। यह आंकड़ों की कला है,जो सत्य की परतें खोल देती है, और दुनिया की भ्रम तोड़ देती है। सांख्यिकी सच्चाई की आइना है। क्योंकि यह तथ्यों और आंकड़ों के माध्यम से वास्तविकता को दर्शाती है। यदि किसी देश की जनसंख्या वृद्धि या आर्थिक स्थिति का आकलन करना चाहते हैं, तो सांख्यिकी से ही सटीक और तथ्यपूर्ण जानकारी मिलती है। मतलब सटीकता और पारदर्शिता के साथ सच्चाई को समझने का अवसर देती है। जैसे आईना हमें हमारी वास्तविक तस्वीर दिखाता है। इसके बिना जीवन और ज्ञान अधूरा स्वप्न जैसा है।
राजनीतिक विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर सह इग्नू समन्वयक डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि सांख्यिकी का वाकई में बहुआयामी महत्व और प्रयोग है। इसका राजनीति एवं चुनावी प्रक्रियाओं में भी विभिन्न प्रकार से उपयोग किया जाता है। जैसे चुनाव पूर्व सर्वेक्षण, एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल, वोट का प्रतिशत, पोलिंग डेटा का विश्लेषण, चुनावी रिजल्ट आदि में खुलकर सांख्यिकी का प्रयोग होता है।
वहीं दर्शनशास्त्र की विभागाध्यक्ष प्रो. नाहिद बदर ने कहा कि सांख्यिकी एक ऐसा विषय है, जिसका उपयोग लगभग हर जगह किया जाता है। इसकी बहुआयामी महत्व से इनकार नहीं किया जा सकता है। सांख्यिकी और दर्शनशास्त्र का संबंध अवधारणात्मक तथा सात्विक दृष्टिकोण से है, क्योंकि सत्य और अनिश्चितता, सटीकता, तार्किक निर्णय निर्माण में सांख्यिकी की शरण में जाना पड़ता है। इस अवसर पर मनोविज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो. रणविजय कुमार सिंह ने कहा हम हर जगह आंकड़ों से घिरे हैं और उन्हें समझे बिना दुनिया को नहीं समझ सकते। सांख्यिकी का संबंध मनोविज्ञान से भी है। मनोवैज्ञानिक प्रयोग की योजना बनाने और परिणाम की व्याख्या में सांख्यिकी मॉडल का प्रयोग किया जाता है, ताकि निष्कर्ष वैद्य और विश्वसनीय हो सके।
वहीं अर्थविद प्रो. सरदार राम ने कहा कि सांख्यिकी ही ऐसा विषय है जो ज्ञान की सभी राहें खोल देती है। सांख्यिकी के बिना दुनिया चल नहीं सकती है। मौके पर उपस्थित डॉ. डी. के गोयल, डॉ. ए. एस पोले, प्रो. दानिश, डॉ. सुदिप्ता, डॉ. विनीता, डॉ. प्रो. कैलाश पंडित, डॉ. रश्मि, डॉ. श्वेता सहित अन्य ने एक स्वर में कहा कि विज्ञान और शोध कार्य में सांख्यिकी की भूमिका अहम है। कहते हैं कि सांख्यिकी विज्ञान का ग्रामर है। यह विज्ञान प्रक्रिया को अनुशासित और सटीक बनाने का एक उपकरण है। जिस प्रकार ग्रामर भाषा को संरचित व सुसंगठित तरीके से समझने और व्यक्त करने का माध्यम होती है,उसी प्रकार सांख्यिकी वैज्ञानिक अनुसंधान और डेटा विश्लेषण में एक विधिवत प्रक्रिया का काम करती है। इसी कारण सांख्यिकी को विज्ञान का ग्रामर कहते हैं। किसी ने कहा है कि जहां दुनिया अनिश्चित होती है, वहां सांख्यिकी विश्वास दिलाती है।
मौके पर डॉ.अजीत कुमार भारती, उर्दू के विभागाध्यक्ष डॉ.अनसर साहब, कार्यालय सहायक रवीश कुमार सिंह, सुशील कुमार आदि कई शिक्षक,कर्मचारी और छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।