लखनऊ/उत्तर प्रदेश (Lucknow/Uttar Pradesh), 18 अप्रैल 2025, शुक्रवार : उत्तर प्रदेश में सरकारी शिक्षक बनने की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश अधीनस्थ शिक्षा सेवा नियमावली 2024 में अहम संशोधन करते हुए शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में कुछ विषयों के लिए B.Ed डिग्री की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। इस निर्णय के तहत अब कंप्यूटर जैसे विशिष्ट विषयों के लिए सहायक अध्यापक बनने के लिए B.Ed जरूरी नहीं होगा।
यह संशोधन उन उम्मीदवारों के लिए एक सुनहरा अवसर लेकर आया है जो कंप्यूटर विषय में विशेषज्ञता रखते हैं लेकिन बीएड डिग्री उनके पास नहीं है। अब वे भी उत्तर प्रदेश में सहायक अध्यापक के पद के लिए आवेदन कर सकेंगे। इसके साथ ही, यह फैसला प्रदेश में लंबे समय से खाली पड़े शिक्षकों के पदों को भरने की दिशा में भी एक अहम कदम माना जा रहा है।
★ 2018 की भर्ती में B.Ed की अनिवार्यता बनी थी बाधा
गौरतलब है कि वर्ष 2018 की शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के दौरान कंप्यूटर विषय के लिए B.Ed की शर्त की वजह से अधिकांश पद खाली रह गए थे। कुल 1673 रिक्तियों में से 1637 पद खाली रह गए थे क्योंकि कंप्यूटर विषय में दक्षता रखने वाले अधिकतर अभ्यर्थियों के पास B.Ed नहीं था। इस अनुभव के आधार पर अब नई नियमावली में बदलाव किया गया है।
नए संशोधन में B.Ed को अब एक अधिमानी अर्हता (Preferential Qualification) के रूप में रखा गया है। यानी जिन अभ्यर्थियों के पास B.Ed की डिग्री होगी, उन्हें वरीयता मिल सकती है, लेकिन यह अब अनिवार्य नहीं होगी।
★ एलटी ग्रेड कला और हिंदी विषय में भी योग्यता में बदलाव
नए नियमों के तहत एलटी ग्रेड कला वर्ग में बीएफए (Bachelor of Fine Arts) डिग्री धारकों को भी पात्र माना जाएगा। इसके अलावा, हिंदी विषय के सहायक अध्यापक पदों के लिए अब उत्तर माध्यमा उत्तीर्ण उम्मीदवार भी पात्र होंगे। इससे उन अभ्यर्थियों के लिए भी अवसर के द्वार खुलेंगे, जो पारंपरिक शिक्षा के रास्ते से शिक्षक बनने की तैयारी में हैं।
★ 7385 पदों पर जल्द निकलेगी भर्ती, आयोग को भेजा गया अधियाचन
शिक्षा विभाग ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) को 7385 सहायक अध्यापक पदों का अधियाचन भेजा है, जिनमें से 2525 पद महिलाओं के लिए और 4860 पद पुरुष वर्ग के लिए आरक्षित हैं। यह भर्ती प्रक्रिया जल्द ही शुरू होने की संभावना है।
नए संशोधन से उम्मीद की जा रही है कि बड़ी संख्या में योग्य लेकिन B.Ed रहित अभ्यर्थी अब इस प्रक्रिया में भाग ले सकेंगे, जिससे न केवल रिक्त पद भरे जाएंगे, बल्कि शिक्षा व्यवस्था को भी सुदृढ़ बनाया जा सकेगा।
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